साहित्य लहर

कविता : सरकार मज़े में है ….!

कविता : सरकार मज़े में है …. सौ का ठर्रा पी के सो जाता है रहता पल्लेदार मज़े में है। मध्यम वर्ग का लहू पी कर रहती है ये सरकार मज़े में है। जनता को चूना लगाकरनेताओं का रोजगार मज़े में है। #कवि/पत्रकार आशीष तिवारी निर्मल, रीवा मध्य प्रदेश

फूल मज़े में है खार मज़े में है
झुठ्ठों का कारोबार मज़े में है।

जिसे पहन कर भागे थे वह
बाबा की सलवार मज़े में है।

बढ़े हैं चोर उचक्के जबसे
रहता थानेदार मज़े में है।

औने-पौने फसल खरीदी कर
व्यापारी व व्यापार मज़े में है

सौ का ठर्रा पी के सो जाता है
रहता पल्लेदार मज़े में है।

मध्यम वर्ग का लहू पी कर
रहती है ये सरकार मज़े में है।

जनता को चूना लगाकर
नेताओं का रोजगार मज़े में है।

कविता : आओ प्यारे बच्चों


कविता : सरकार मज़े में है .... सौ का ठर्रा पी के सो जाता है रहता पल्लेदार मज़े में है। मध्यम वर्ग का लहू पी कर रहती है ये सरकार मज़े में है। जनता को चूना लगाकरनेताओं का रोजगार मज़े में है। #कवि/पत्रकार आशीष तिवारी निर्मल, रीवा मध्य प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights