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वेश्या के रूप में मौजूद स्त्री का जीवन और उनका प्रेम

वेश्या के रूप में मौजूद स्त्री का जीवन और उनका प्रेम, इसी प्रकार पंच सितारा होटलों में अभिजात्य परिवार की महिलाएं भी बेहद अमीर परिवार के मर्दों के संग रंगरेलियां मनाकर साथ में ऊंची कमाई भी कर लेती हैं। महानगरों में पांच से दस मिनट के फिल्म में काम करने के लिए पोर्न साइटस से कम दस हजार देते हैं। #राजीव कुमार झा

हिंदी के महान लेखक के रूप में कभी प्रेमचंद ने सेवा सदन नामक उपन्यास लिखकर चकलाघरों में रहने वाली स्त्रियों के बदहाल जीवन की तरफ हमारा ध्यान आकृष्ट किया था। पुरुष और स्त्री के बीच सबसे निकट के पारिवारिक संबंध हैं। अब परिवार सिमट गये हैं और जहां तक स्त्री की खुशियों की बात है, आजकल इसे सारे लोग जानते हैं और स्त्री अपने जीवन समाज परिवेश कुटुंब इन सबके अनुरूप खुब सुखी होना चाहती है।

महानगरों में स्त्रियों का एक बड़ा तबका परिवार में पति के साथ अपने परंपरागत संबंधों में काफी बदलाव का जीवन जी रहा है। फिर भी पति सबका देवता है और यह बात सारे लोगों को शायद नहीं मालूम है कि वेश्यालयों में भी काफी समझदार वेश्याएं वहां वेश्यालय में जो पुरुष जो वेश्याओं से ही जन्मे लोग होते हैं, वे उनसे विवाह करके रहती हैं।

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वेश्यालय महानगरों में जिन लोगों के मकानों में चलते हैं, यानी जो लोग कोठा नामक सेक्स की दुकान के व्यापारी होते हैं , इस तबके के लोग वहां के प्रतिष्ठित व्यक्ति माने जाते हैं और इस वेश्या समाज में भी विवाह जैसी सामाजिक संस्था के महत्व और यहां भी उसकी विशिष्टता को चरितार्थ करते हैं। इन लोगों को जनगणना में भी शामिल कर लिया जाता है और अभी मैंने किसी महिला एमबीबीएस लड़की का इंटरव्यू किसी पत्रिका में पढ़ा था कि उसके नाना के दो वेश्यालय थे।

समझदारी के विकास से महानगरों में वेश्यालय से हटकर भी यहां के संभ्रांत लोग रहते दिखाई देते हैं। वे यहां वेश्यालय संचालन से कमाए रुपयों से अच्छे व्यापार शुरू कर देते हैं। मशहूर फिल्म अभिनेत्री नरगिस की मां का संबंध गया के वेश्यालय के किसी परिवार से बताया जाता है। चकलाघरों में वेश्या के रूप में मौजूद स्त्रियों की भी कई श्रेणियां हैं और यहां सबसे खराब दशा स्त्री के रूप में उन वेश्यालयों की है जो अपहरण खरीद फरोख्त के साधनों के बाद बनी वेश्याएं हैं।

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इनके पास पुरुष के प्रेम के लिए कुछ भी नहीं होता है। गुगल ने जीवन शैली में सेक्स को लेकर नया प्रभाव कायम किया है और यह इंटरनेट उपभोक्ताओं का वर्ग है। यहां फैशन के नये ट्रेंड के साथ सेक्स का नया बाजार पसरता जा रहा है। महानगरों में सामान्य तबके की भी काफी औरतें कमाई के ख्याल से महीनों में कुछ दिनों के लिए गेस्ट हाउस और होटलों में देह व्यापार के लिए जाती हैं।



इसी प्रकार पंच सितारा होटलों में अभिजात्य परिवार की महिलाएं भी बेहद अमीर परिवार के मर्दों के संग रंगरेलियां मनाकर साथ में ऊंची कमाई भी कर लेती हैं। महानगरों में पांच से दस मिनट के फिल्म में काम करने के लिए पोर्न साइटस से कम दस हजार देते हैं। यहां प्रेम का सबसे घटिया रूपजाल फैला है। यादगार प्रेम के लिए यहां सांवली सलोनी गोरी चिट्टी दुबली-पतली चंदना जूही बेला कचनार की भीनी सुगंध की तरह बिखरी हुई थीं।



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चकलाघरों में वेश्या के रूप में मौजूद स्त्री का जीवन और उनका प्रेम, इसी प्रकार पंच सितारा होटलों में अभिजात्य परिवार की महिलाएं भी बेहद अमीर परिवार के मर्दों के संग रंगरेलियां मनाकर साथ में ऊंची कमाई भी कर लेती हैं। महानगरों में पांच से दस मिनट के फिल्म में काम करने के लिए पोर्न साइटस से कम दस हजार देते हैं। #राजीव कुमार झा

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