छत्तीसगढ़ की कवयित्री और लेखिका अरुणा अग्रवाल का साक्षात्कार
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छत्तीसगढ़ की कवयित्री और लेखिका अरुणा अग्रवाल का साक्षात्कार… मैं कविता के अलावा आलेख, निबंध, भजन, कहानी, लघुकथा आदि भी लिखती हूं। कविता में प्रकृति को मानवीकरण रूप देकर दर्दनाक जीवन जीनेवाली महिलाओं के लिए दया सहानुभूति रखती हूं। #राजीव कुमार झा
प्रश्न: अरूणा जी,अपना जीवन परिचय संक्षेप में प्रस्तुत करें।
उत्तर: बचपन से माता सरस्वती के प्रति अगाध विश्वास एवं श्रद्धा रही।पठन-पाठन में भी। कविता लिखने की शौकीन रही।निबंध-प्रतियोगिता,सामान्य ज्ञान में भी भागीदारी रही। कुछ ओडिआ,अंग्रेजी एवं हिन्दी भाषा में भी कविता,गीत आदि लिखती रही।कुछ आचंलिक जिला स्तरीय प्रान्तीय एवं राज्यस्तर एवं सर्वोपरि राष्ट्रीय स्तर का सम्मानपत्र प्रशस्तिपत्र मिला है।
यह मेरे लिए अमूल्य निधि से कम नहीं ।यह सिलसिला जारी है। जनम ओडिशा में हुआ।पठन-पाठन,ओडिआ एवं अंग्रेज़ी भाषा में हुआ । शादी मध्यप्रदेश में होने के बाद हिन्दी में लिखना पढ़ना शुरू किया। इसमें पुत्र पुत्री एवं मित्रगण का सहयोग एवं प्रोत्साहन रहा है। जिसके लिऐ मैं तहे दिल सबका शुक्रगुजार हूँ।
चार साल सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यक्षा रही। 2018,2019,दो साल अग्रवाल महिला मंडल में अध्यक्षा रही।2010 से मनियारी साहित्य एवं सेवा समिति लोरमी की सह सचीव हूँ ।और अंततः मैं एक गृहिणी हूँ ।100 से ज्यादा प्रमाणपत्र, 30 से अधिक साझा संकलन, एक एकल संकलन है। साहित्य सेवा का सिलसिला जारी है।
प्रश्न: अपनी कोई कविता प्रस्तुत करें।
उत्तर: यह मेरी लिखी एक कविता है।
मेरा भारत महान
मेरा भारतवर्ष है जगत में महान, सोने की चिड़िया उसका नाम,
भौतिक,खनिज संपदा से लदा, अन्न,फसल,फल फूल,से अनहद।।
ज्ञान-विज्ञान,नैतिकता था मूल, अध्यात्म सत्य,अहिंसा बिगुल,
प्रेम,भाईचारा,आपसी मिलाप, विश्व गुरू नाम से शिखर आप।
विदेशी हुकुमत आने से कमजोर बुनियादी ढांचा हिला सौदागर
भाई भाई में खूब मनमुटाव, प्रगति का मार्ग हुआ संकरा।
पाश्चात्य सभ्यता का अंधाधुंध, अनुकरण से विकास,अवरोध,
अंग्रेजी भाषा को देने लगे मान, हिन्दी होने लगा अवहेलित सघन।
स्वतंत्रता उपरांत फिर से चमक नारी सशक्तिकरण का उदय
पुरुषसंग कदमताल करे नारी नभ, जल, थल, अंतरिक्ष में उड़ान।
आज समग्र विश्व में नाम रोशन भारत का पराक्रम देखी संसार,
नतमस्तक होने मजबूर, मुरार, विज्ञान युग का दस्तक उपहार।।
अनेकता में एकता भारतधन, तिरंगा,गाय,गंगा विशेष,पहचान
रामायण, गीता, भागवत, पुराण, समग्र विश्व को दे रहा ज्ञानकण।।
माता-पिता की सेवा, सबका सत्कार करें लालबाल सह नेहाचार, माता होती यहां
प्रथम पूज्यपाद जगत आश्चर्यचकित देखी राममंदिर।
मैं कविता के अलावा आलेख, निबंध, भजन, कहानी, लघुकथा आदि भी लिखती हूं। कविता में प्रकृति को मानवीकरण रूप देकर दर्दनाक जीवन जीनेवाली महिलाओं के लिए दया सहानुभूति रखती हूं। पेड़,पौधा का अंधाधुंध कटाई जो की पर्यावरण संरक्षण का अवरोध है,उसके खिलाफ रहती हूं।
पंछी भी उससे बेघर हो जा रहे हैं और धीरे धीरे समाप्ति के कगार पर हैं।यह बेहद चिंतित होनेयोग्य समस्या भी है ।अपितु संवेदनापरक अनुभूति भी, न अतिशयोक्ति। मेरे पसंदीदा कवि, लेखकों में महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, निराला, हरिवंश राय बच्चन, कबीरदास आदि प्रमुख हैं।
मैं जिस अंचल की निवासी हूं, यहां छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रचलन ज्यादा है। ग्रामीण अंचल होने की वजह से लोगों में आपसी प्रेम,भाईचारा एवं मैत्री है। ग्राम: लोरमी, जिला,मुंगेली, छत्तीसगढ़… मैं ओडिशा से हूं। इसलिए मैं ओडिया,अंग्रेजी एवं हिन्दी तीनों भाषाओं में बराबर पकड़ एवं रूझान रखती हूं।