राष्ट्रीय समाचार

पेंशन को तरसते सेवानिवृत्त समायोजित शिक्षक

पेंशन को तरसते सेवानिवृत्त समायोजित शिक्षक… एक ओर सरकार अपने आपकों लोक कल्याणकारी सरकार कहती है और समानता की बात करती है और साथ ही साथ कर्मचारियों को पेंशन से भी वंचित कर रही हैं। ये कर्मचारी 01 जुलाई 2011 से सरकारी कर्मचारी न होकर अपनी प्रथम नियुक्ति से शिक्षक है। #विशेष संवाददाता सुनील कुमार माथुर

जोधपुर। सेवानिवृत हर सरकारी कर्मचारी पेंशन का हकदार हैं और उसे सरकारी नियमानुसार सेवानिवृति पर पेंशन दी जाती है। चूंकि पेंशन कर्मचारी की खुशहाली का जीवन बीमा हैं। उसके बुढापे की लाठी हैं। इतना ही नहीं सेवानिवृत कर्मचारी को आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है़ और कर्मचारी की मृत्यु पर आश्रित को पेंशन मिलती हैं।

मगर राजस्थान में सरकार ने 80 प्रतिशत अनुदानित शिक्षण संस्था़ओं में कार्यरत शिक्षकों को 01 जुलाई 2011 से सरकारी स्कूलों में (ग्रामीण स्कूलों में) समायोजन के नाम पर लगाया और सेवाकाल के दौरान 9-18-27 का लाभ भी दिया और सर्विस बुक भी पहले वाली को लगातार जारी रखा, लेकिन सेवानिवृति के बाद उन शिक्षको को अन्य लाभों से वंचित कर दिया जिसमे पेंशन भी शामिल हैं। पेंशन नहीं मिलने से वे आर्थिक कठिनाईयों के दौर से गुजर रहे हैं और येन केन प्रकारेण अपने परिवार को दो वक्त की रोटी उपलब्ध करा पा रहें हैं।‌

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सरकार एक ओर नारा देती है कि कोई भूखा न सोए, वही दूसरी ओर समायोजित शिक्षकों व कर्मचारियों को पेंशन से वंचित कर दिया है। राजस्थान सरकार ने समायोजन के दौरान इन शिक्षकों से एक शपथ पत्र भरवा लिया कि वे ग्रामीण इलाकों में सरकारी नौकरी करते पुराने कोई लाभ की मांग नहीं करेगे। उक्त शर्त तर्कसंगत नहीं है। चूंकि सर्विस बुक को लगातार जारी रखा, 9-18 का लाभ भी दिया। स्कूल अनुदानित शिक्षण संस्थान थी फिर सेवाकाल के बीच में कर्मचारियों के विरूध्द यह कैसी शर्त।

एक ओर सरकार अपने आपकों लोक कल्याणकारी सरकार कहती है और समानता की बात करती है और साथ ही साथ कर्मचारियों को पेंशन से भी वंचित कर रही हैं। ये कर्मचारी 01 जुलाई 2011 से सरकारी कर्मचारी न होकर अपनी प्रथम नियुक्ति से शिक्षक है। इसलिए राजस्थान सरकार समायोजित शिक्षकों को पेंशन देंने के लिए गणना 1 जुलाई 2011 से न कर उनकी प्रथम नियुक्ति से गणना कर पेंशन का लाभ दें। चूकि इन कर्मचारियों ने अपने जीवन का अमूल्य समय करीबन 25 से 30 साल तो अनुदानित शिक्षण संस्थाओं में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अब उन्हें पेंशन से वंचित रखना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता हैं।

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राज्य सरकार बार बार यह दौहरा रही हैं कि हमने ओल्ड पेंशन स्कीम ( ओ पी एस ) योजना शुरू कर दी है लेकिन समायोजित शिक्षकों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने के बारे में मौन धारण कर रखा हैं जिससे इस मंहगाई के दौर में उन्हें अपना व अपने परिवारजनों का जीवन व्यापन करना मुश्किल हो गया है। अतः सरकार तत्काल उन्हें उनकी प्रथम नियुक्ति तिथि से पेंशन दें व अनावश्यक रूप से जोडी गई शर्त वापस लें।



जब ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की हैं तो फिर समायोजित शिक्षकों को इस लाभ से वंचित करना न्याय संगत नहीं कहा जा सकता है। एक ओर सरकार सामाजिक सुरक्षा के नाम घर बैठे लोगों को सामाजिक सुरक्षा के नाम पर बिना कोई काम किये पेंशन दे रही है, वहीं दूसरी ओर बच्चों का भविष्य संवारने वाले शिक्षकों को पेंशन से वंचित कर रहीं हैं। यह कैसी दौहरी मानसिकता।


पेंशन को तरसते सेवानिवृत्त समायोजित शिक्षक... एक ओर सरकार अपने आपकों लोक कल्याणकारी सरकार कहती है और समानता की बात करती है और साथ ही साथ कर्मचारियों को पेंशन से भी वंचित कर रही हैं। ये कर्मचारी 01 जुलाई 2011 से सरकारी कर्मचारी न होकर अपनी प्रथम नियुक्ति से शिक्षक है। #विशेष संवाददाता सुनील कुमार माथुर

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