साहित्य लहर

मजदूर और ईंट के बीच का रिश्ता

अशोक शर्मा

मजदूर और ईंट के बीच का रिश्ता
सदियों पुराना है
जैसे कि भूख का रोटी से!
एक मजदूर अच्छी तरह जानता है
ईंट का महत्व रोटी के लिए कितना जरूरी है ?

ईंट के बोझ को एक मजदूर
हमेशा कमतर ही आँकता है
अपने बच्चों की मुस्कान
और परिवार की जरूरतों की तुलना में !
वह ईंट के बोझ से थक तो सकता है
किंतु, जिम्मेदारियों के बोझ तले
दबकर मर जायेगा!

एक मजदूर के लिए
ईंट का बोझ ऑक्सीजन की तरह है
जहाँ उनकी जरूरतें साँस लेती हैं!

दुखों की गणना भले न आती हो
किंतु, एक मजदूर को
ईंटों की गिनती कंठस्थ रहती है !
उन्हें अच्छी तरह मालूम है
ईंटों की संख्या,
उनके दुखों की संख्या की व्युत्क्रमानुपाती है।

ईंट सिर्फ़ घर ही बनाती है
ईमारतों वाली बात नितांत झूठी है
ईमारतों को, पेट की भूख
और मजदूर की जरूरतें बनाती है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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From »

अशोक शर्मा

देवभूमि ब्यूरो चीफ, गया

Address »
बाराचट्टी, गया, बिहार

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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