साहित्य लहर

कविता : मुरली वाले

मुरली वाले… लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे  श्रीकृष्ण मुरली वाले, हम भक्त तुम्हारे। दर से तेरे न लौटा कोई , ले‌कर झोली खाली हम पर दया जो कर दो, बन जाए बिगड़ी हमारी विनती मेरी भी सुन लो बस इतनी अरज हमारी दर पर तेरे खड़ा हूं लेकर झोली खाली झोली मेरी भी भर दो हे! गोवर्धनधारी। #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण मुरली वाले, हम भक्त तुम्हारे
लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे।

मुफलिस गरीब हम हैं औकात क्या हमारी
आन पड़ी है हम पर, आज विपदा भारी
मझधार में फंसे हैं मिलते नहीं किनारे
श्रीकृष्ण मुरली वाले, हम भक्त तुम्हारे।

तेरी दया से चलती है ये दुनिया सारी
एक तुम ही हो दाता, सारा जग है भिखारी
हम पर दया कर दो, बन जाए बिगड़ी हमारी।

श्रीकृष्ण मुरली वाले, हम भक्त तुम्हारे
लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे
श्रीकृष्ण मुरली वाले, हम भक्त तुम्हारे।

दर से तेरे न लौटा कोई , ले‌कर झोली खाली
हम पर दया जो कर दो, बन जाए बिगड़ी हमारी
विनती मेरी भी सुन लो बस इतनी अरज हमारी
दर पर तेरे खड़ा हूं लेकर झोली खाली
झोली मेरी भी भर दो हे! गोवर्धनधारी।

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मुरली वाले... लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे  श्रीकृष्ण मुरली वाले, हम भक्त तुम्हारे। दर से तेरे न लौटा कोई , ले‌कर झोली खाली हम पर दया जो कर दो, बन जाए बिगड़ी हमारी विनती मेरी भी सुन लो बस इतनी अरज हमारी दर पर तेरे खड़ा हूं लेकर झोली खाली झोली मेरी भी भर दो हे! गोवर्धनधारी। #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश

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