शिक्षक युगनिर्माता के रूप में समाज के मार्गदर्शक : डॉ मनीषा अग्रवाल
शिक्षक युगनिर्माता के रूप में समाज के मार्गदर्शक : डॉ मनीषा अग्रवाल… डॉ० मनीषा अग्रवाल, जो स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय, डोईवाला की हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष हैं, का मानना है कि “शिक्षक वह धुरी है जिसके इर्द-गिर्द समाज का विकास और उन्नति निर्भर करती है।” उनका कहना है कि शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले ही नहीं, बल्कि वे समाज के मार्गदर्शक भी होते हैं। #अंकित तिवारी
देहरादून। शिक्षक दिवस, जिसे डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, देश के समस्त शिक्षकों और शिक्षिकाओं का सम्मान है। डॉ० राधाकृष्णन न केवल एक महान शिक्षक, बल्कि एक अद्वितीय चिंतक और दार्शनिक भी थे। उन्होंने भारतीय दर्शन को विश्व मंच पर सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाया। उनका मानना था कि शिक्षा न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान है, बल्कि यह समाज में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करने का भी एक माध्यम है।
डॉ० राधाकृष्णन का जीवन शिक्षा के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की और अंततः देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति बने। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता कैसे व्यक्ति को समाज के सर्वोच्च पदों तक पहुंचा सकती है। डॉ० राधाकृष्णन ने संस्कृत का गहन अध्ययन किया और भारतीय दर्शन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। वे कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी रहे और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा।
शिक्षक दिवस का अर्थ केवल डॉ० राधाकृष्णन का सम्मान करना नहीं है, बल्कि यह उन सभी शिक्षकों का सम्मान है जो समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसा कि सेवानिवृत्त अध्यापक वीरेंद्र दत्त ममगाईं कहते हैं, “शिक्षक समाज का दर्पण है।” अधिकांश शिक्षक अपने पद की गरिमा को बनाए रखते हैं और समाज में नैतिक और शैक्षिक मूल्यों को स्थापित करने का कार्य करते हैं। लेकिन आज के समाज में कुछ विकृतियाँ भी देखने को मिल रही हैं, खासकर महिलाओं के प्रति अत्याचार, जो कि शिक्षित समाज के लिए एक कलंक है। इस पर समाज के प्रत्येक बुद्धिजीवी वर्ग को गंभीरता से विचार करना होगा।
डॉ० मनीषा अग्रवाल, जो स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय, डोईवाला की हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष हैं, का मानना है कि “शिक्षक वह धुरी है जिसके इर्द-गिर्द समाज का विकास और उन्नति निर्भर करती है।” उनका कहना है कि शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले ही नहीं, बल्कि वे समाज के मार्गदर्शक भी होते हैं। शिक्षक युगनिर्माता होते है, वे छात्रों के भीतर न केवल शैक्षिक कौशल का विकास करते हैं, बल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों को भी समाहित करते हैं।
शिक्षक दिवस का अवसर हमें इस बात की याद दिलाता है कि शिक्षक समाज के निर्माण में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दिन हमें इस बात की भी प्रेरणा देता है कि हम अपने शिक्षकों का सम्मान करें और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के प्रति आभार प्रकट करें। शिक्षकों का योगदान केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी अमूल्य है।
इस प्रकार, शिक्षक दिवस न केवल डॉ० राधाकृष्णन की स्मृति को जीवंत रखने का एक माध्यम है, बल्कि यह समाज में शिक्षकों के प्रति सम्मान और उनकी भूमिका को समझने का भी एक अवसर है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे शिक्षक सदैव प्रेरणा के स्रोत बने रहें और समाज में नैतिकता, ज्ञान और सदाचार की ज्योति जलाते रहें।