साहित्य लहर

सबका मन बहलाई है “होली”

मो. साहिल
रामराजी इण्टर कालेज, नरायनपुर, प्रीतमपुर, हीरापुर, अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)

आज होली आई है,
खुशियों का पल लाई है,
चारों ओर रंग–बिरंगा,
कैसा दृश्य बनाई है,
अपने अद्भुत रंगों से,
सबका मन बहलाई है।

भाभी बोली आ जाओ,
तुमको रंग लगा दूं मैं,
करना तैयारी आगे की,
सबको यह बतला दूं मैं,
रंगों की रंगोली बनाकर,
घर को भी सजा दूं मैं।

कुछ अच्छे बुरे भी आएंगे,
जो सबको रंग लगाएंगे,
बच कर रहना है उनसे,
सबको यह बतला दूं मैं,
तेरे भैया हैं कब से सोएं,
उनको भी जगा दूंगा मैं।

करना है अभी पकवान तैयार,
आ रहे हैं कुछ रिश्तेदार,
कहीं ना पड़ जाएं बीमार,
“साहिल” ऐसा कुछ कर उपचार,
मद्देनजर यह रखना यार,
होली है रंगों का त्योहार।

कई हैं साथी तुम्हारे आएं,
झुंडो के झुंड बनाकर हैं आए,
रंग के पैकेट हैं साथ में लाएं,
हैं आवाज भी तुम्हें कई लगाएं,
सोच समझकर जाना यार,
आज है होली का त्यौहार।

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