साहित्य लहर

कुमांऊनी रचना : जय शंकर महादेव

भुवन बिष्ट

जय जय शंभू महादेवा, धरिया हामरि लाज,
विनती सुणीया हे देवा, सुफल करिया काज।

एक हाथ डमरू त्रिशूल, गले सांपों की माला,
कैलाश में आसन लगाई, पहनी छ मृगछाला।

अंग छन बभूति लगायी,तुम जगत रखवाला,
संग माता पार्वती छन,कार्तिकेय गणेश लाला।

जय जय शंभू महादेवा, धरिया हामरि लाज।।….

त्रिकाल दर्शी देव तुम छा,महादेव त्रिनेत्र धारी,
जय देव तुम छा वरदानी, जै नंदी की सवारी।

हे शंभू भोले बाबा तुमछा,सबूंकैं लाज धरणीं,
दुणिं में खुशहाली कौं देव, भंडार छा भरणीं।

अन्तर्यामी तुम महादेव, घट घट कौं निवासी,
लाज धरिया हर बखता,जै शंभू कैलाशवासी।

जय जय शंभू महादेवा, धरिया हामरि लाज।।….

अमर नाथ तुमौर वासा, केदार बाबा तुम छा,
जै बागेश्वर बागनाथा, जागेश्वर तुम बसछा।।

जटा बसी रै गंग तुमरी,शीशचन्द्र त्रिशूल धारी,
जै जै महाकाल महादेव,हामौर छा पालनहारी।

हाथ जोड़नूँ टेकी मुनाऊँ,दिया थान में जलानूँ,
आयूँ मैं तो त्यौर शरणा,चरणों में शीश झूकानूँ।

अन्न धनक भकार भरिये, रोग-दोष कैं दूर करिया,
लाज धरिया हे महादेवा,गौं घर खुशहाल करिया।

घट घट कौं देव निवासी, जै शंभू शिवालय वासी,
शंभू मैं छूँ त्यौर विश्वासी,जै जै शंभू कैलाशवासी।

जय जय शंभू महादेवा, धरिया हामरि लाज,
विनती सुणीया हे देवा, सुफल करिया काज।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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भुवन बिष्ट

लेखक एवं कवि

Address »
रानीखेत (उत्तराखंड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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