साहित्य लहर

आंचल में बुलाकर सुलाई थी…

विकास कुमार
दाऊदनगर, औरंगाबाद (बिहार)

आतंकवादी भेड़ जब फौज शेर के पीछे से छुपकर एक दर्दनाक दुर्घटना करने को आई थी।
आतंक इनके जज्बातों से डर के एक वाहन लदे आरडीएक्स फौज के वाहन से टकराई थी।।

रोया होगा आसमान भी उस दिन जिस रात को ये दर्दनाक समय आई थी।
आसमा तो क्या धरती को भी दिल से जोरो का जब आवाज निकल आई थी।।

माँ की आँखे तो बहुत ही दिनों से बेटे को आने की रास्ता को देखकर आई थी।
तभी पत्नी की घर में आवाज गूंजी, जब फौजी पति के शहीद होने की खबर आई थी।।

माँ ने भी अपने दूध का कर्ज चुकाने के बहाने, वीरों को आवाज लगाकर जगाने आई थी।
बहने और बच्ची भी उन्हें जगाने चिखते–चिलाते हुए बहुत दूर तक आई थी।।

हर आँखे नम हो गया जब अपने ही देश के 42 फौजियों को शहीद होने की खबर जब टीवी में आई थी।
उन माताओं और बहनों की दिल पर क्या गुजरा होगा, जब किसी के बेटे, तो किसी के भाई के तिरंगे में शव आई थी।।

अब जाते–जाते उन विरो ने अपनी भारत माँ की जयकारा पूरा जोरो से लगाई थी।
फिर उस भारत मां ने अपने इन वीर बेटो को अपनी आंचल में बुलाकर सुलाई थी।।

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