तो कैसा नव वर्ष हुआ?
कौशल किशोर मौर्य ‘दक्ष
सोच हमारी वही रही यदि
तो कैसा नव वर्ष हुआ?
बीते साल से सबक ना सीखा
तो कैसा नव वर्ष हुआ?
त्याग न पाये कुरीतियों को
अब की; तो क्या सीख लिया?
क्या समाज में व्याप्त रूढ़ियों
की जंजीरें काट दिया?
ईर्ष्या का विष अपने मन से
क्या हम सबने नष्ट किया?
व्यर्थ के क्रोध को अंतस में ही
करना शांत क्या सीख लिया?
मन के ‘मैं’ की बलि देना क्या
सच में हमने सीख लिया?
क्षमा का शुचि गुण क्या हम सबने
अपने उर उत्पन्न किया?
कर्कश वाणी त्याग के हमने
क्या मृदुवाणी ग्रहण किया?
अकिंचनों को दुत्कारने की
क्या बद-आदत छोड़ दिया?
ऊँच-नीच की घृणित सोंच से
उबर गये हो क्या सच में?
समरसता से सब संग रहना
सीख लिया है क्या सच में?
अपनी-अपनी कुदृष्टि को क्या
सुदृष्टि में है बदल लिया?
छोड़ कुपथ को क्या हम सबने
सुपथ पे पग को बढ़ा दिया?
त्याग अगर उपरोक्त बुराई;
सदगुण दल निज हृदय भरा।
तो ही समझो सच में हमने
नवल वर्ष में कदम धरा।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »कौशल किशोर मौर्य ‘दक्षमीतौं, सण्डीला, हरदोई (यूपी) | मो. नं. : 8090051242Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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