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साहित्य लहर

ठंड का मौसम है आया

आकृति

ठंड का मौसम है आया
सर्दी-जुकाम साथ है लाया।

ऊनी वस्त्र हमें पहनाये
आग के पास हमें बिठाये।

नहाने से सब छूटकारा पाये
मुँह धोके सब काम चलाये।

ठंडा पानी देख दिल घबराये
नहाये या ना नहाये?
ये प्रश्न मन मे बार बार आये।

सूर्य भी गायब हो जाये
किस बात का बदला
हमसे लिया जाए।

दिन -भर सूर्य इन्तजार करवाये
पर धूप हमारे पास न आये।

समय भी इतना जल्दी गुज़र जाये,
कब सुबह हो गई पता न चल पाये।

सुबह सवेरे कुछ न दिख पाये
चारों तरफ कोहरा नज़र आये।

ठंड रजाई के पास न आये
दिल चाहे पूरा दिन रजाई मे गुज़र जाये।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

आकृति

9वीं कक्षा की छात्रा, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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