साहित्य लहर

देख दशा किसान की व्यथित हुआ मन

23 दिसंबर (किसान दिवस) पर रचना

सुनील कुमार

देख दशा किसान की मन व्यथित बहुत है आज
अन्नदाता ही देश का क्यों है आज बदहाल।

खून-पसीना एक कर करता निस दिन काम
जाड़ा-गर्मी-बरसात कभी करता न आराम
फिरअन्नदाता ही देश का क्यों हैआज बदहाल।

कभी ओला-कभी बारिश कभी आंधी-तूफान
कुदरत का हर सितम सहता है किसान
फिरअन्नदाता ही देश का क्यों हैआज बदहाल।

कृषि प्रधान देश अपना कृषक है इसकी शान
जय जवान-जय किसान कहता सकल जहान
फिरअन्नदाता ही देश का क्यों है आज बदहाल।

खून-पसीने से अपने जो करता धरती का श्रृंगार
फिरअन्नदाता ही देश का क्यों है आज बदहाल।

बेटी विदा करने को क्यों करता घर नीलाम
कर्ज की सूली पर चढ़ता क्यों किसान ?


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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