साहित्य लहर

कविता : गौरैया बोली आकर मुझसे

डॉ एम डी सिंह

आज एक
गौरैया बोली आकर मुझसे
कुछ मेरी भी बात सुनोगे
एक छोटा सा आंगन
दाना चुगने को
एक छोटा सा खपरैल
घोसला बुनने को
कहीं घर के अपने आसपास
बना कर मुझको भी दोगे

तुम तो आंगन अपना बंद कर चुके
जिसे मैं भी साझा करती थी
धरन छाजन खपरैल हटाकर
तुमने छत पक्का करा लिया

जिन पर घोंसला मैं भी धरती थी
बाबू खेला करता था मेरे संग
दादी देती थी मुझको रंग
अब किसी को मेरी सुध नहीं
जबकि मेरी किसी से युद्ध नहीं

मेरी भी बात
सरकार तक पहुंचा दो
मेरे लिए भी एक नीड़ बनवा दो


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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डॉ. एम.डी. सिंह

लेखक एवं कवि

Address »
महाराज गंज, गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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