साहित्य लहर

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नवाब मंजूर की कविताएं

मो. मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

जरा सी हो धूप
जाड़े की सी!
बीछी हो दूब
हरी मखमली सी!

पसर जाओ
लोटो पल दो पल वहां
महसूस होगा सुकून वो
धरा के आंगन में
कहां कहीं मिल पाएगा?

कभी वो
बिस्तर नरम मुलायम में
असीम शांति जो है
वसुंधरा की गोद में
जाने कहां ढ़ूंढ़ते फिरते हो?

ऐ मानव!
देश परदेस में
वो तो बिखरी पड़ी है
तेरे ही परिवेश में
विस्तृत हरी-भरी धरती
खुला आसमान

निहारो जी भर कर सूरज चांद
आ जाएगी मानों जान में ही जान
मिट जाएगी सारी थकान
दुःख दर्द होंगे छू मंतर

मस्तिष्क को मिलेगा आराम
आनंद की होगी वो परम अनुभूति
रोम रोम खिल उठेंगे
गाएंगे गीत वो भी खुशी खुशी।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

From »

मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूर

लेखक एवं कवि

Address »
सलेमपुर, छपरा (बिहार)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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