साहित्य लहर

बहू दहेज में क्या लायी है…

सुनील कुमार

छोड़ बाबुल का घर
पिया के घर आयी है
न जाने क्यों लोग पूछते हैं
बहू दहेज में क्या लायी है ?

पली-बढ़ी जिस घर-आंगन में
वो घर-आंगन छोड़कर आयी है
न जाने क्यों लोग पूछते हैं
बहू दहेज में क्या लायी है ?

भाई-बहन और हमजोली
सखियों संग हंसी-ठिठोली
सब छोड़कर आयी है
न जाने क्यों लोग पूछते हैं
बहू दहेज में क्या लायी है ?

अपनों से नाता तोड़कर
गैरों को अपना बनायी है
न जाने क्यों लोग पूछते हैं
बहू दहेज में क्या लायी है ?

अपने जिगर के टुकड़े की
मां-बाप ने की विदाई है
न‌ जाने क्यों लोग पूछते हैं
बहू दहेज में क्या लायी है ?

किसी ने भी ये नही पूछा
बेटी क्या-क्या छोड़ के आयी है
हर किसी ने दी एक ही दुहाई है
बहू दहेज में क्या लायी है ?

वो क्या जानें पीर-पराई
जिनके पैर फटी न बिवाई है
न जाने क्यों लोग पूछते हैं
बहू दहेज में क्या लायी है ?


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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From »

सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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