साहित्य लहर

कैसे भुला पाएंगे तुझे ओ विपिन?

मो. मंजूर आलम “नवाब मंजूर”

है कहना कठिन
बहुत बुरा गुजरा
हर शय हर चमन उजड़ा
कल का दिन ही मनहूस निकला!

नयन हैं नम
उदास है चमन
रो रहा है गगन
सूना है भारत का आंगन
तेरे जाने की भरपाई
बहुत मुश्किल है

सर्जिकल स्ट्राइक के कर्ता
तीनों सेनाओं के प्रथम नेतृत्वकर्ता
वीर सपूत..
अर्पित किया रक्त का हर बूंद
न भुला पाएगा यह देश
तेरे योगदान का ऋणी रहेगा देश

अश्रु झर झर बह रहे हैं
तेरे वीरता की गाथा कह रहे हैं
सुबक रहे हैं सिसक रहे हैं
नाम तेरा ले लेकर कर रहे हैं जयघोष
कुछ नि:शब्द हैं
कुछ हैं अवाक
ऐसी छोड़ी है आपने

देशवासियों पर छाप
शीश झुका नमन हम भी करते हैं
करते हैं कोटि-कोटि प्रणाम
सदा अमर रहेगा देश दुनिया में नाम
सदियों तक तेरे साहस और कीर्ति की-
गाथा सुनाता रहेगा हिंदुस्तान।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

From »

मो. मंजूर आलम “नवाब मंजूर”

लेखक एवं कवि

Address »
सलेमपुर, छपरा (बिहार)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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