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साहित्य लहर

कविता : मातृ दिवस

तुमने ही जीवन को सजाया, तुझ बिन सूना हर कोना। पूजा मां की सदा ही करना, सुन बहना मेरे भाई, उससे बढ के नहीं कोई दूजा, तुझे रचा दुनिया लायी। मुझे छोड वह चली गयी है, इक बार दरस दिखा माई। बार बार तुमको है पुकारा, फिर भी नजर नहीं आई। #डा सुधा सिन्हा

इक बेटी की तडप
स्कूल कालेज में नाम लिखाकर,
मुझको मां पढना सिखला दो।
इंजीनियरिंग, मेडिकलपास कराकर,
जीवन मेरा रौशन कर दो।
जीवन भर की सारी कमाई,
बच्चों के पालने में लगाई।
सीतारमण चावला बनकर,
करनी है तेरी भरपाई ।

रात रात भर जाग जाग कर,
तुमने मुझको पाला पोसा।
कैसे भूलंगी मैं तुमको,
कितना कष्ट जो तुमने झेला।
प्रोफेसर कलक्टरआफिसर बन कर,
तेरा मान बढाऊँगी ।
जो परिवार ने ना किया,
उसे मैं करके दिखाऊंगी।
गाडी,घोडा, मोटर बंगला,
सबकुछ तुझे दिलाऊंगी।

उडन खटोले पे बिठा,
दुनिया की सैर कराऊंगी।
तू ही मेरी कावा काशी,
तू ही है शेरावाली।
तेरी पूजा सदा करूंगी,
नहीं कोई मेरी काली।
भगवन को तो नहीं है देखा,
उससे क्या लेना देना।

तुमने ही जीवन को सजाया,
तुझ बिन सूना हर कोना।
पूजा मां की सदा ही करना,
सुन बहना मेरे भाई,
उससे बढ के नहीं कोई दूजा,
तुझे रचा दुनिया लायी।
मुझे छोड वह चली गयी है,
इक बार दरस दिखा माई।
बार बार तुमको है पुकारा,
फिर भी नजर नहीं आई।


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