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साहित्य लहर

कविता : मां

मां की सेवा करे, उसका सम्मान करे मां की आंखों में कभी भी आंसू मत आने दीजिए जीवन में हर तरह के लोग होते हैं कोई अपार सुख होने पर भी हर वक्त दुःखी रहते हैं और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपार दुःख होने के बावजूद भी सदा सुखी रहता हैं #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर राजस्थान

पैसे से रोटी खरीदी जा सकती हैं
लेकिन
मां का प्यार और स्नेह नहीं
मां जब व्यंजन बनाती हैं तब
उसमें अपार प्यार, स्नेह, ममता और
वात्सल्य का भाव भी होता हैं

मां अपना सारा स्नेह
अपने परिवारजनों की सुख, शांति और
समृध्दि को समर्पित कर देती हैं
पैसे से हम रोटी खरीद सकते हैं लेकिन
मां का प्यार, दुलार नहीं खरीद सकते चूंकि

मां तो मां होती हैं वह इस धरती पर
साक्षात भगवान का स्वरूप है
मां की सेवा करे, उसका सम्मान करे
मां की आंखों में कभी भी
आंसू मत आने दीजिए
जीवन में हर तरह के लोग होते हैं

कोई अपार सुख होने पर भी
हर वक्त दुःखी रहते हैं और
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो
अपार दुःख होने के बावजूद भी
सदा सुखी रहता हैं

बस हमारी मां भी अपार दुखों के बावजूद
सदा चेहरे पर खुशियां लिए रहती हैं
तभी तो वह मां कहलाती हैं


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