साहित्य लहर

बाल जगत : महापुरुषों की अमृतवाणी

नया दिन नई बात करों, कल चाहे हारे थे आज नयी शुरुआत करों। किसी का भला करके देखों हमेंशा लाभ में रहोंगे, किसी पर दया करके देखों , हमेंशा याद में रहोंगे। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

⇒ परवाह वो संजीवनी बूटी है जो कभी भी रिश्तों को मरने नहीं देती।

⇒ करोडों की भीड़ में इतिहास मुट्ठी भर लोग ही बनाते हैं, वहीं रचते हैं इतिहास जो आलोचनाओं से नहीं घबराते हैं।

⇒ ईश्वर का दर्शन और मित्र का मार्गदर्शन दोनोें ही जीवन को प्रकाशित कर देते हैं।

⇒ नया दिन नई बात करों, कल चाहे हारे थे आज नयी शुरुआत करों। किसी का भला करके देखों हमेंशा लाभ में रहोंगे, किसी पर दया करके देखों , हमेंशा याद में रहोंगे।

⇒ स्नेह और दया कोई सुख के साधन नहीं है बल्कि वो आवश्यकताएं हैं जिनके बिना इंसानियत जिंदा नहीं रह सकती।

⇒ नफरत कमाना भी आसान नहीं है, इस दुनियां में लोगों की आंखों में खटकने के लिए भी कुछ खुबियां तो होनी चाहिए।


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