साहित्य लहर

नेता जी

भारत की आज़ादी में वह, बालक बना महानायक l हृदयों का सम्राट बना वह, ‘नेता’ कहते प्रेम से सब l “जय हिंद” का सुलझा नारा, दिया देश को उसने ही गौरव से भर दिया सभी को, भरा हृदय में प्रेम तब ही l गठन किया था एक फौज का, नाम रखा ‘आज़ाद हिन्द’ गर्व से भरा जन-जन, घर-घर कहता हर्ष से”जयहिंद”! #सत्यवती आचार्य, चंडीगढ़

ओड़िशा के कटक नगर में, जन्म लिया एक बालक ने l
माता जिनकी प्रभावती थीं, पिता जानकी नाथ थे l

भव्य इमारत उसका घर था, चौदह बच्चों का कुनबा l
अच्छी विद्या, ऊँची शिक्षा, धन व धान्य से था वह भरा l

भारत की आज़ादी में वह, बालक बना महानायक l
हृदयों का सम्राट बना वह, ‘नेता’ कहते प्रेम से सब l

“जय हिंद” का सुलझा नारा, दिया देश को उसने ही
गौरव से भर दिया सभी को, भरा हृदय में प्रेम तब ही l

गठन किया था एक फौज का, नाम रखा ‘आज़ाद हिन्द’
गर्व से भरा जन-जन, घर-घर कहता हर्ष से”जयहिंद”!

देश-भक्ति से ओत-प्रोत वे भरते सबके दिलों में जोश,
निडर और निर्भीक रहे करते दुश्मन को फिर ख़ामोशl

‘तुम मुझको दो ख़ून, तुम्हें आज़ादी दूँगा’ कहते थे l
ग़लती है अन्याय को सहना ,ये सन्देश वे देते थे l

सभी दिलों पर राज किया है, पहले भी और आज भी l
जब तक नभ और धरा रहेगी, रहेगा ” नेता” नाम भी l


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