साहित्य लहर

बाल कहानी : जीत

तभी स्कूल के प्रधानाचार्य शशिधर जी आ गये और उन्होंने गिरीश को बधाई देते हुए कहा कि यह जीत तुम्हारी सेवा, ईमानदारी, कार्य के प्रति निष्ठा और समर्पण की जीत है। मुझे खुशी है कि तुम्हारे नेतृत्व में स्कूल के विद्यार्थियों को भी प्रेरणा लेकर समाज के प्रति समर्पण और सेवाभाव से कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए. #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

कक्षा मानीटर का बुधवार को चुनाव होना था। इसके लिए गिरीश और रामलाल चुनाव मैदान में थे दोनों अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर शुचिता, आरूषि, अंशुल, परीना, मेघा, महक के वोट गिरीश को ही पडने वाले थे। यह बात प्रतिद्वंदी रामलाल अच्छी तरह से जानता था।

ज्यों-ज्यों मतदान की तारीख नजदीक आ रही थी, त्यों त्यों रामलाल ने अपनी जीत को पक्का करने के लिए कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल की कैंटिंन में ले जाकर चाय नाश्ता कराने लगा।‌ लेकिन गिरीश सेवाभावी व मिलनसार होने के कारण मन ही मन गिरीश की जीत के प्रति आस्वत थे।

आखिर बुधवार का दिन भी आ गया और गिरीश ने भगवान गणेश के नाम का स्मरण कर मतदान किया। धीरे-धीरे सभी विधार्थियों ने मतदान किया। सांय साढे चार बजे के बाद मतगणना शुरू हुई और गिरीश भारी मतों से विजयी हुए। चुनाव परिणाम घोषित होते ही गिरीश ने भगवान गणेश जी के प्रति और मतदाताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और सभी का मुंह मीठा कराया।

तभी स्कूल के प्रधानाचार्य शशिधर जी आ गये और उन्होंने गिरीश को बधाई देते हुए कहा कि यह जीत तुम्हारी सेवा, ईमानदारी, कार्य के प्रति निष्ठा और समर्पण की जीत है। मुझे खुशी है कि तुम्हारे नेतृत्व में स्कूल के विद्यार्थियों को भी प्रेरणा लेकर समाज के प्रति समर्पण और सेवाभाव से कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए और उसे अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।


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