साहित्य लहर

कविता : लोगों के बीच

सबके मन का चक्कर लगाती लोगों को प्यार करने का रास्ता बताती शाम में अपने दिन अकेले बिताती सबके पास आती लोगों से दूर जाती, #राजीव कुमार झा

मेरे प्यार
दीदारे यार
सपनों की रानी
दिलबर जानी
झूम उठी
हरे भरे खेतों में
धूप की जवानी

ठंड भरे मौसम में
तुम साहस से बनी
सयानी
धूप सज संवर कर
घर से बाहर
निकल आई
रात में बाहर अकेली

चांदनी छाई
शहर में लोगों के बीच
जिंदगी की
आवाजाही को देखकर
नदी बलखाती
तुम प्यार में डूबी

सबके मन का
चक्कर लगाती
लोगों को
प्यार करने का
रास्ता बताती
शाम में अपने दिन
अकेले बिताती
सबके पास आती
लोगों से दूर जाती


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