साहित्य लहर

कविता : ओ बिटिया रानी

तुम लाडली गुड़िया हो, ओ बिटिया रानी, तुम कितनी प्यारी हो, जब तुम अंगना में चलती हो तब तुम्हारी पायल की झंकार, तुम्हारे खेलने-कूदने का हमें अहसास कराती हैं, ओ बिटिया रानी, तुम कितनी प्यारी हो, तुम घर की रौनक हो #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

ओ बिटिया रानी, तुम कितनी प्यारी हो
भैया की तुम प्यारी बहना हो
मम्मी – पापा की बिटिया हो
दादा दादी और नाना नानी की

तुम लाडली गुड़िया हो
ओ बिटिया रानी, तुम कितनी प्यारी हो
जब तुम अंगना में चलती हो तब
तुम्हारी पायल की झंकार

तुम्हारे खेलने-कूदने का
हमें अहसास कराती हैं
ओ बिटिया रानी, तुम कितनी प्यारी हो
तुम घर की रौनक हो

सबकी प्यारी और लाडली हो
ओ बिटिया रानी, तुम कितनी प्यारी हो

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