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साहित्य लहर

सत्यपथ और पत्रकारिता

एस एन विश्वकर्मा
राष्ट्रीय अध्यक्ष, ICOP

पत्रकारिता में जब मेरी क़लम यूँ चली
सदा सत्य के लिये जी सत्य के लिये मरी
हाँ…
ये है सच्ची, स्वच्छ पत्रकारिता मेरी

सत्य ही पाँचजंघय है सत्य ही गीता मेरी
सत्य ही मेरा कृष्ण है सत्य ही सच्ची पूजा मेरी
हाँ…
ये है सच्ची, स्वच्छ पत्रकारिता मेरी

सत्य की स्याही बनी, सत्य की गवाही बनी
सत्य का कर आलिंगन, सत्य को वरण करने चली
हाँ…
ये है सच्ची, स्वच्छ पत्रकारिता मेरी

सत्य की ख़ाकी मेरी सत्य ही बनी वर्दी मेरी
सत्य की तलवार लिये धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में खड़ी
हाँ…
ये है सच्ची, स्वच्छ पत्रकारिता मेरी

दूर हो या पास हो पराया हो या ख़ास हो
सत्य को ही है तोलती बेज़ूबाँ की बन बोली बोलती..
हाँ…
ये है सच्ची, स्वच्छ पत्रकारिता मेरी

ये क़लम कभी बिकी नहीं दबंग के आगे झुकी नहीं
इसके हौसलों की उड़ान देख अच्छेअच्छों की नींद डोलती..
हाँ…
ये है सच्ची, स्वच्छ पत्रकारिता मेरी

सत्य को जीया सत्य को पिया सत्य की सच्ची लाठी बनी
असत्य कभी टिका नही ,जिसे देख प्रसाशन की नींव डोलती..
हाँ …
ये है सच्ची, स्वच्छ पत्रकारिता मेरी

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