साहित्य लहर
बाल कविता : सूरज
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बाल कविता : सूरज… आसमान में चंदा मामा देखो कितने प्यारे लगते, जब अंधेरा खूब सताती चंदामामा दौड़ के आते। मुन्ना जब रोने लगता है मौसी उसको वहलाती है, चंदामामा जल्दी आना #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार
देखो सूरज कितने प्यारे
अन्धेरों को हर लेते हैं,
किरणें जब बिखराते
तभी सुबह हो जाती है
नानी राधे-राधे कहतीं
दादी कहती जय सियाराम,
राम-नाम के जपने से ही
होगा जीवन का कल्याण।
आसमान में चंदा मामा
देखो कितने प्यारे लगते,
जब अंधेरा खूब सताती
चंदामामा दौड़ के आते।
मुन्ना जब रोने लगता है
मौसी उसको वहलाती है,
चंदामामा जल्दी आना
दूध-भात लेकर आ जाना।