साहित्य लहर

कविता : मेरा भाई मेरा अभिमान

कविता : मेरा भाई मेरा अभिमान… मेरे घर-आंगन की है शान सबसे अलग उसकी पहचान मेरा भाई मेरा अभिमान। लड़ते-झगड़ते आपस में हम पर करते एक-दूजे से प्यार मेरा भाई मेरा अभिमान। रौशन जिससे मेरा घर-द्वार ईश्वर का है अनुपम वरदान मेरा भाई मेरा अभिमान। #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश

खुशियों के खातिर हमारी
खुशियां अपनी देता त्याग
मेरा भाई मेरा अभिमान।

मुझ पर करता जां निसार
रक्षा करता बनकर ढाल
मेरा भाई मेरा अभिमान।

खुद से ज्यादा रखता मेरा ध्यान
सुख-दु:ख में आता वो काम
मेरा भाई मेरा अभिमान।

मेरे घर-आंगन की है शान
सबसे अलग उसकी पहचान
मेरा भाई मेरा अभिमान।

लड़ते-झगड़ते आपस में हम
पर करते एक-दूजे से प्यार
मेरा भाई मेरा अभिमान।

रौशन जिससे मेरा घर-द्वार
ईश्वर का है अनुपम वरदान
मेरा भाई मेरा अभिमान।

कविता : चुभन


कविता : मेरा भाई मेरा अभिमान... मेरे घर-आंगन की है शान सबसे अलग उसकी पहचान मेरा भाई मेरा अभिमान। लड़ते-झगड़ते आपस में हम पर करते एक-दूजे से प्यार मेरा भाई मेरा अभिमान। रौशन जिससे मेरा घर-द्वार ईश्वर का है अनुपम वरदान मेरा भाई मेरा अभिमान। #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश

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