पत्र पत्रिकाएं और पाठक
पत्र पत्रिकाएं और पाठक… यही वजह है कि आज की युवा पीढ़ी पत्र पत्रिकाओं से दूर होती जा रही हैं। समाचार वही कहलाते है जो वक्ताओं के वक्तव्य के साथ प्रकाशित होते है। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर , राजस्थान
इंसान को स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक आहार आवश्यक है ठीक उसी प्रकार जीवन में श्रेष्ठ साहित्य सृजन भी आवश्यक है। लेकिन आज पत्र पत्रिकाओं में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता है। यही वजह है कि आज पाठक पत्र पत्रिकाओं से दूर होता जा रहा है। आज पत्र पत्रिकाओं की कीमतें काफी बढ गई है लेकिन उनमें पढने योग्य व संकलन योग्य सामग्री का नितांत अभाव रहता है।
जबकि आप कोई भी पुरानी पत्र पत्रिकाएं उठा कर देखिए वे आज भी पढने योग्य हैं जिन्हें पढने को बार बार मन करता है। आज समाचार पत्रों में केवल व्यक्ति का नाम व पद ही समाचार के साथ प्रकाशित होते है। वक्ताओं के उद् गार नहीं। जैसे — महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए, शिक्षक समाज का सजग प्रहरी है, पेड पोधे धरती के आभूषण है, पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन कही किसी के वक्तव्य संक्षिप्त में भी प्रकाशित नहीं होते है तब भला युवा पीढ़ी खाक प्रेरणा ले पायेगी।
यही वजह है कि आज की युवा पीढ़ी पत्र पत्रिकाओं से दूर होती जा रही हैं। समाचार वही कहलाते है जो वक्ताओं के वक्तव्य के साथ प्रकाशित होते है। अन्यथा वह समारोह में उपस्थित लोगों का हाजरी रजिस्टर के अलावा कुछ भी नहीं है। कोई अगर सम्पादक मंडल को सुझाव देता है तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता हैं। जबकि हकीकत मे़ आज संवाददाताओं को प्रशिक्षण देने की जरूरत है कि समाचार कैसे बनाएं जाते हैं। पत्र पत्रिकाएं समाज का दर्पण है । अतः इसे व्यापार न बनाएं।
जहां समर्पण है, वहां शिकायत नहीं होती
Nice article