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कन्या भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध

गर्भपात द्वारा मानव का अपनी ही संतान की इस प्रकार नृशंस हत्या कराना कहां तक मानवोचित है? गर्भपात को अधिकांश लोग एक साधारण से शल्यक्रिया मानते हैं, जो की बिल्कुल गलत धारणा है। गर्भपात तो जीते- जागते निर्दोष प्राणी की सुनियोजित नृशंस हत्या है। #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश

आज हमारे देश में पुत्र प्राप्त की लालसा में गर्भस्थ शिशु के लिंग का पता लगाकर कन्या भ्रूण हत्या करना- कराना आम बात हो गई है। लोग अपने इन मासूम शिशुओं की इस प्रकार हत्या कर रहे हैं, जैसे उन्होंने जीव हत्या न करके कोई साधारण सा ऑपरेशन कराया हो। क्या कभी सोचा है कि गर्भपात के द्वारा जिन निरपराध मासूम जीवों की हत्या की जा रही है, उनमें संभवतः कोई महापुरुष व देश का निर्माता भी हो सकता है।

गर्भपात द्वारा मानव का अपनी ही संतान की इस प्रकार नृशंस हत्या कराना कहां तक मानवोचित है? गर्भपात को अधिकांश लोग एक साधारण से शल्यक्रिया मानते हैं, जो की बिल्कुल गलत धारणा है। गर्भपात तो जीते- जागते निर्दोष प्राणी की सुनियोजित नृशंस हत्या है। गर्भ में जीव का अस्तित्व गर्भाधान के क्षण से ही हो जाता है और जब तक मां को यह पता चलता है कि वह गर्भवती है, तब तक उसकी कोख के शिशु के प्रायः सभी अंग बन चुके होते हैं।

मस्तिष्क विकसित हो चुका होता है, दिल का धड़कना प्रारंभ हो चुका होता है, अर्थात वह एक पूर्ण रूपेण जीवित प्राणी बन चुका होता है। हर छोटे- बड़े प्राणी को जीने का पूर्ण अधिकार है। किसी का जीवन नष्ट करने का अधिकार किसी को भी नहीं है, न ही किसी मां-बाप को अपनी जीती- जागती संतान की हत्या करने की छूट विश्व के किसी भी धर्म या कानून ने प्रदान की है।

यदि इन निर्दोष मासूमों को किसी न्यायालय में प्रस्तुत होने या अपनी ओर से न्यायालय में याचिका दाखिल कर केस लड़ने का अधिकार होता, तो गर्भपात के शिकार बच्चों के हत्यारे माता-पिता का व गर्भपात करने वाले डॉक्टरों को विश्व की कोई भी शक्ति फांसी के फंदे से नहीं बचा पाती।

पिता जिसे आकाश से भी ऊंचा कहा गया है और माता जिसे संतान के प्रति अगाध ममता व निस्वार्थ त्याग की भावना के कारण देवी- देवताओं से भी ऊंचा स्थान दिया जाता है, उन्हें अपने पितृत्व व मातृत्व की गरिमा को बनाए रखने के लिए यह दृढ़ निश्चय करना होगा कि वे कन्या संतान की हत्या को बढ़ावा देने वाले भ्रूण के लिंग परीक्षण को न स्वयं कराएंगे और न ही औरों को कराने की सलाह देंगे। यदि प्रत्येक दंपति ऐसा निश्चय कर लें ,तो विश्व की कोई भी शक्ति उनकी गर्भस्थ कन्या संतान की हत्या नहीं कर सकती।


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