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आपके विचार

शोरगुल से परेशानी

किसी परिवार में बीमार रोगी सो रहा होगा। कोई विधार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा होगा। उन्हें कितनी परेशानी हो रही होगी। अगर आप द्वारा तेज आवाज में टी वी, डी जे, लाउडस्पीकर बजाने पर कोई आपको टोकता है तब आपकों बुरा क्यों लगता है। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

आधुनिकता के नाम पर आज हम अपने आदर्श संस्कारों और समाज के नियम कायदों को ताक पर रखकर जो कार्य कर रहे हैं वे न्याय संगत कम और सिर दर्द अधिक साबित हो रहे हैं। इससे आमजन दुःखी और परेशान हैं। कोई अपनी समस्या बता देता हैं तो कुछ लोग जहर का घूंट पीकर मौन रह जाता हैं। आखिर कब तक हम मौन रहेंगे, यह विचारणीय विषय है।

आज संयुक्त परिवार धीरे-धीरे समाप्त हो रहे है और एकाकी परिवार बढते जा रहे है और वे आधुनिकता के नाम पर मनमाने ढंग से रह रहे हैं। मनोरंजन के नाम पर हर रोज तेज आवाज में टी वी चलाते हैं। वे यह भी नहीं देखते है कि हमारे पड़ोस में, आस पास में, हमारे मकान के ऊपर भी कोई रहता है और हमारे द्वारा तेज आवाज में टी वी बजाने से उन्हें कितनी परेशानी हो रही होगी।

किसी परिवार में बीमार रोगी सो रहा होगा। कोई विधार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा होगा। उन्हें कितनी परेशानी हो रही होगी। अगर आप द्वारा तेज आवाज में टी वी, डी जे, लाउडस्पीकर बजाने पर कोई आपको टोकता है तब आपकों बुरा क्यों लगता है।

वे आपकी स्वतंत्रता में कोई बाधा नहीं डाल रहे है अपितु आप उनकी आजादी में दखल डाल रहें हैं।
टी वी, रेडियो, डी जे, लाउडस्पीकर बजाना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन नियमानुसार मर्यादा में रहकर धीमी आवाज में बजाये तो यह सबके लिए ठीक रहेगा। अतः जहां तक हो सके एक अच्छे पड़ोसी बन कर रहे। इसी में मजेदारी, समझदारी हैं।


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