वर्षा का महत्व
वर्षा का महत्व… हरे भरे वृक्ष हमें शुध्द हवा, सुंदर सुंदर फूल व मीठे-मीठे फल देते है। छाया देते है। सूक जाने पर जलाने के लिए लकड़ियां देते है। तब फिर भला हम इंसान होकर हरे भरे वृक्षों को क्यों काट रहे है, उनकी रक्षा क्यों नहीं करते। अगर हम इनकी रक्षा नहीं कर सकते तो ऐसे जीवन को धिक्कार हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
जीवन में वर्षा का बडा ही महत्व है। जब वर्षा आती है तो मन हर्षित और आनंदित हो उठता हैं। पेड पौधों को जीने का सहारा मिलता है। पत्तों का अच्छा खासा स्नान हो जाता हैं। पेड़ पौधों की सुन्दरता बढ जाती है। जल ही जीवन है इसका आभास हो जाता है। नदी, नालों, तालाबों, बांधों व जलाशयों में पानी आ जाने से उनका सौन्दर्य व महत्व बढ जाता है। पीने को पर्याप्त मात्रा में जल मिल जाता है। जिससे जल के संकट से मुक्ति मिल जाती है। वर्षा है तो यह आनन्ददायक जीवन है अन्यथा सब सून है।
अतः हरे भरे वृक्षों की रक्षा कीजिए। उन्हेंं कटने से बचाइए व हर व्यक्ति एक पौधा लगा कर उसकी तब तक रक्षा करे जब तक वह वृक्ष न बन जाए। भरे वृक्ष है तो वर्षा है। वृक्ष ही धरती के आभूषण है और आनन्द मय जीवन जीने का सहारा है। अगर समय रहते हरे भरे वृक्षों को कटने से न रोका गया व विकास के नाम पर इन्हें काटते रहे तो हर बार प्रकृति का कहर झेलना पडेगा।
प्रकृति बडी ही धैर्यवान है जो धैर्य पूर्वक इतना बोझ व पीडा झेल रही है। चूंकि यह धरती माता है। अगर कोई और होता तो आपना कहर दिखा देता। हां धरती माता भी समय समय पर हमें झटका अवश्य ही देती है लेकिन इंसान इतना लालची हो गया है कि वह धरती का दोहन इतना कर गया कि मौत अब सामने खडी है फिर भी दोहन करने से बाज नहीं आ रहा है।
हरे भरे वृक्ष हमें शुध्द हवा, सुंदर सुंदर फूल व मीठे-मीठे फल देते है। छाया देते है। सूक जाने पर जलाने के लिए लकड़ियां देते है। तब फिर भला हम इंसान होकर हरे भरे वृक्षों को क्यों काट रहे है, उनकी रक्षा क्यों नहीं करते। अगर हम इनकी रक्षा नहीं कर सकते तो ऐसे जीवन को धिक्कार हैं।