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कवि सम्मेलनों की सामाजिक उपादेयता

कवि सम्मेलनों की सामाजिक उपादेयता… इन रचनाओं के माध्यम से लोग अपने समाज व संस्कृति को जानने- समझने के साथ-साथ तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों से भी अवगत होते हैं। सामाजिक चेतना व जन जागरूकता फैलाने में कवि सम्मेलनों का बड़ा ही महत्व रहा है।  #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश

साहित्यकार समाज का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। वह जिस समाज में रहता है उससे प्रभावित होता है तथा स्वयं के क्रियाकलापों से समाज को प्रभावित करता है। एक सजक रचनाकार समाज में जो कुछ भी देखता और अनुभव करता है उसे अपनी रचनाओं में वर्णित करता है। और रचनाकारों की ये रचनाएं विभिन्न माध्यमों से समाज में प्रसारित होती हैं। समाज के लोग इन रचनाओं से बहुत कुछ सीखते हैं।

रचनाओं के प्रसार में कवि सम्मेलनों की बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समाजिक चेतना व जन जागरूकता फैलाने में कवियों की भूमिका आदिकाल से ही रही है।पुराने समय में राजा महाराजा कवियों को बड़ा ही महत्व देते थे। राजा महाराजा कवियों को अपने दरबार में बड़ा ही सम्मानजनक स्थान देते थे। कविगण अपनी रचनाओं से उनका न केवल मनोरंजन करते थे बल्कि समय-समय पर ज्ञानवर्धक रचनाएं प्रस्तुत कर उनका मार्गदर्शन भी करते थे। रचनाकार या कवि अपने समय-काल का प्रतिनिधि होता है। उसकी रचनाओं में तत्कालीन समाज के भावों की झलक मिलती है।

इन रचनाओं के माध्यम से लोग अपने समाज व संस्कृति को जानने- समझने के साथ-साथ तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों से भी अवगत होते हैं। सामाजिक चेतना व जन जागरूकता फैलाने में कवि सम्मेलनों का बड़ा ही महत्व रहा है। एक समय था जब कवि सम्मेलन मात्र बड़े- बुजुर्गों के मनोरंजन का साधन माना जाता था लेकिन वर्तमान दौर के कवियों ने हमारी युवा पीढ़ी को भी अपनी और आकर्षित किया है।

वर्तमान दौर में विश्व समुदाय का ध्यान हिंदी की ओर आकर्षित कराने में हमारे देश के मंचीय कवियों की बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि हम वर्तमान दौर के मंचीय कवियों की बात करें तो डॉ. कुमार विश्वास, डॉ. हरिओम पवार,संपत सरल, डॉ., विष्णु सक्सेना, अशोक चक्रधर, शैलेश लोढ़ा, कविता तिवारी आदि ने अपनी रचनाओं व मंचीय प्रस्तुतियों द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभायी है।इन कवियों ने अपनी मंचीय प्रस्तुतियों द्वारा हिंदी को न केवल भारत बल्कि विश्व पटल पर एक नई पहचान दिलायी है।उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि कवि सम्मेलनों का समाज में बड़ा ही महत्व है।

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कवि सम्मेलनों की सामाजिक उपादेयता... इन रचनाओं के माध्यम से लोग अपने समाज व संस्कृति को जानने- समझने के साथ-साथ तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों से भी अवगत होते हैं। सामाजिक चेतना व जन जागरूकता फैलाने में कवि सम्मेलनों का बड़ा ही महत्व रहा है।  #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश

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