आपके विचार

पहचान

पहचान… कहने का तात्पर्य यह है कि इंसान की पहचान उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके गुणों से होती हैं। इसलिए व्यक्ति को शांत स्वभाव का, परोपकारी, धैर्यवान, सहनशील, संयमी, त्यागमयी, ममतामई जैसे आदर्श संस्कारों व गुणों से ओत-प्रोत होना चाहिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

इंसान की पहचान कपड़ों से नही अपितु उसके गुणों से होती। अगर आप साफ सुथरे व उस्त्री किये हुए कपडे पहने हुए है लेकिन आपको बात करने की तमीज नहीं है और न ही किसके सामने क्या बोलना है, कैसे जवाब देना है। यह बात समझ में नहीं आती है तो जीवन में ऐसा पहनावा व दिखावा किस काम का।

अरविन्द एस डी एम आफिस में कार्यरत था वह रोज धुले हुए वस्त्र पहन कर जाता था लेकिन उसने अपने कपडों पर कभी भी उस्त्री नहीं की। उसकी पत्नी रोज कहती की आप कपड़ों पर उस्त्री किये कपडे पहना करों। रोज सैकडो लोगों से मिलना जुलना होता है। कलेक्टर व कमीशनर साहब आते हैं वे क्या देखते होगें।

तब अरविन्द एक ही जवाब देता वे व्यक्ति का व्यवहार और उसका काम काज ही देखते हैं। उसने कहा कि उसे अब तक जो सम्मान पत्र मिले हैं वे कपड़ों के कारण नहीं बल्कि उसके श्रेष्ठ कार्यों के कारण ही मिले है।

कहने का तात्पर्य यह है कि इंसान की पहचान उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके गुणों से होती हैं। इसलिए व्यक्ति को शांत स्वभाव का, परोपकारी, धैर्यवान, सहनशील, संयमी, त्यागमयी, ममतामई जैसे आदर्श संस्कारों व गुणों से ओत-प्रोत होना चाहिए।

सामंजस्य


पहचान... कहने का तात्पर्य यह है कि इंसान की पहचान उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके गुणों से होती हैं। इसलिए व्यक्ति को शांत स्वभाव का, परोपकारी, धैर्यवान, सहनशील, संयमी, त्यागमयी, ममतामई जैसे आदर्श संस्कारों व गुणों से ओत-प्रोत होना चाहिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights