राजनीति

खामोशियों के पार चुनावी जीत का द्वार, देवभूमि में त्रिवेंद्र और वीरेंद्र के बीच जंग

चुनावी चर्चा छेड़ते ही जय सिंह कहने लगे, यहां तो चुनाव रातोंरात पलट जाते हैं। अभी कहना जल्दबाजी होगा कि कौन किस पर भारी रहेगा। वोटिंग से पहले पंचायत जुड़तीं हैं और फैसले हो जाते हैं। ईश्वर सिंह भी कई चुनावों की मिसाल गिना देते हैं।

हरिद्वार। हर की पैड़ी से लेकर मुस्लिम आबादी वाले इलाके कलियर तक…देहात से लक्सर…ऋषिकेश से रुड़की तक…छोटे कस्बों से लेकर सौ-दो सौ घरों वाले गांवों तक…हर जगह सियासी चर्चा…मगर इस यात्रा ने साफ कर दिया कि पर्यटकों की भीड़ से आर्थिक रवानी पाने वाले इस शहर का मिजाज भांप पाना आसान नहीं है। एक बड़ी आबादी मुखर है।

वह साफ-साफ इधर या उधर होने की बात करती है, लेकिन जो खामोश हैं, उनकी संख्या भी कम नहीं। शाम करीब छह बजे। हाईवे किनारे बसा गांव बट्टीपुर। कुछ समय पहले ही एक पार्टी के कुछ पदाधिकारी गुजरे थे, इसलिए दुकानों पर खड़े 20-25 लोग चुनावी बहस में जुटे थे। योगेंद्र दुबे कह रहे थे कि हर बार नए-नए वादे आते हैं, पुरानी फाइलें तो कोई खोलता ही नहीं। बेरोजगारी देख रहे हो।

अपने गांव में भी पढ़े-लिखे नौजवान खाली घूम रहे हैं। जयपाल सिंह कहते हैं, चुनाव भाजपा-कांग्रेस का ही है। बाहरी होने के कारण बसपा प्रत्याशी का कैडर वोट भी भाजपा-कांग्रेस में बंटने जा रहा है। पास खड़े ब्रजेश कुमार इस पर हामी भरते हैं, तो विपिन कुमार कहते हैं, कोई चुनाव नहीं है। भाजपा भारी अंतर से जीतने जा रही है। यहां से लक्सर पहुंचे तो ट्रांसपोर्ट यूनियन दफ्तर के बाहर लोग खड़े थे।

चुनावी चर्चा छेड़ते ही जय सिंह कहने लगे, यहां तो चुनाव रातोंरात पलट जाते हैं। अभी कहना जल्दबाजी होगा कि कौन किस पर भारी रहेगा। वोटिंग से पहले पंचायत जुड़तीं हैं और फैसले हो जाते हैं। ईश्वर सिंह भी कई चुनावों की मिसाल गिना देते हैं। इसी कस्बे के उदयभान सिंह कहते हैं, वह समय गया जब पूरा परिवार किसी एक पार्टी या प्रत्याशी को वोट कर देता था। उमाशंकर बीच में टोकते हैं, जो काम करने वाला हो, वोट उसी को देना चाहिए।

दो सियासी सूरमाओं में है तगड़ी जंग

भाजपा : पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मैदान में। वह मजबूत संगठन बल पर चुनाव को लगातार रंग दे रहे हैं।
कांग्रेस : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत चुनौती पेश कर रहे हैं। हरीश रावत हरिद्वार से सांसद भी रह चुके हैं। इस कारण क्षेत्र में उनकी अच्छी खासी पकड़ भी है। हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र से हरीश रावत की बेटी अनुपमा विधायक हैं।
बसपा : जमील अहमद कैडर वोट और मुस्लिम वोटरों के भरोसे चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं।



सियासत तो कारोबार बन गई

महानगर रुड़की में सिविल लाइन चौराहे पर युवाओं की भीड़ मौजूद थी। इनमें अधिकांश छात्र ही थे। बात शुरू हुई तो विकास कुमार कहने लगे…बताइए अग्निवीर योजना लाए हैं। पांच साल बाद फिर से बेरोजगार। यह कौन सी नौकरी दे रहे हो भाई। साहिल और रिहान कहते हैं कि पहले सियासत सेवा के लिए होती थी अब तो कारोबार बन गई है। किसी पार्टी में कोई अंतर तो दिखता नहीं।

व्यापारी दीपक मेहंदी दत्ता कहते हैं, पहले हमारे देश की क्या पहचान थी विदेशों में। आज देखिए। बड़े-बड़े मुल्क लोहा मानते हैं। यह बात भी याद रखनी चाहिए। जैद गौर सभी को शांत करते हुए कहते हैं, बेरोजगारी देख लो। बड़ी बड़ी डिग्रियां हैं, लेकिन नौकरी नहीं। दुकान चलाने वाले मोहित कुमार कहते हैं, जब हर बार एक ही तस्वीर रहनी है, तो इतनी मगजमारी क्यों करें?



जहां पति कहेंगे वहीं देंगे वोट

रुड़की में कुछ महिलाओं से चुनाव को लेकर राय मांगने पर सविता और सोमती ने कहा कि उन्हें कुछ जानकारी नहीं। जब पूछा कि अब तक चुनावों में वोट तो दिया ही होगा, तो बोलीं- जहां पति या परिवार के लोग कह देते हैं, वहां वोट दे देते हैं।



चर्चा में निर्दलीय उम्मीदवार भी…

लडौरा कस्बे में शाम सात बजे का वक्त। यहां के युवा बोले- लोग निर्दलीय उमेश कुमार को सपोर्ट कर रहे हैं। मो. अलीम, इमरान, शाहिद उनके काम गिनाने लगे। हालांकि, ऋषिपाल सिंह भी तारीफ करते हैं, मगर चुनाव भाजपा-कांग्रेस का ही बताते हैं।



ऋषिकेश में झंडे-बैनरों की भरमार

हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी महज 40 किमी, मगर तीन घंटे लग जाते हैं। यहां सबसे बड़ी समस्या जाम व पार्किंग का न होना है। माया कुंड इलाके में जनरल स्टोर चलाने वाले अमित गुप्ता की दुकान पर चुनावी चर्चा छिड़ी। अमित बोले-प्रत्याशी कोई भी हो, अब तो मोदी लहर चल रही है। रोहित कंबोज कहने लगे, समस्याएं तो पहाड़ जितनी हैं। पवित्र नगरी में अब अवैध शराब आ रही है।


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