उत्तर प्रदेश

बाल रचना : मेरा हृदय लेता हिलोरे

रुखा -सूखा खाना था, रोज मौज से स्कूल जाना था। मेरा हृदय लेता हिलोरे। आ जाएं बचपन के वे दिन कोरे।। #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, फतेहाबाद आगरा, उत्तर प्रदेश

मेरा हृदय लेता हिलोरे,
आ जाएं बचपन के वे दिन कोरे।
उलझनों, झंझटों से छुटकारा था,
बचपन मेरा बड़ा सलोना था,
खेतों में, खलिहानों में घूमना था।

पोखर में रोज छुट्टी के बाद नहाना था।।
मां का प्यार, पिताजी का दुलार था,
ममता का साया मेरे सिर पर था।

रुखा -सूखा खाना था,
रोज मौज से स्कूल जाना था।
मेरा हृदय लेता हिलोरे।
आ जाएं बचपन के वे दिन कोरे।।


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