राजनीति

देशरत्न एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र प्रसाद

सुनील कुमार माथुर

कायस्थ शिरोमणि , देशरत्न , भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डाॅ राजेन्द्र प्रसाद का ३ दिसम्बर को देश भर में जन्म दिन मनाया जायेगा । वे एक ऐसे भारत का निर्माण चाहते थे जहां कोई किसी का शोषण न करें, छूआछूत न हो , निर्धनता , गन्दगी , अनभिज्ञता , अज्ञानता , अभीर गरीब , उच्च वर्ग व निम्न वर्ग का नामों निशान न हो और हर कोई एक दूसरे की निस्वार्थ भाव से सेवा करें ।

उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रियता के साथ भाग लिया । वे 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गये । नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देने पर कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार उन्होंने एक बार पुनः 1939 में सम्भाला था । भारत के स्वतंत्र होने के बाद संविधान लागू होने पर उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति का पदभार सम्भाला । बारह वर्षों तक राष्ट्रपति के पद पर कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की । अवकाश लेने के बाद उन्हें भारत सरकार द्धारा भारतरत्न से नवाजा गया ।

डाॅ राजेन्द्र प्रसाद सादा जीवन और उच्च विचारो के धनी थे । वे सदैव अंहकार , घमंड , चापलूसी व अभिमान से दूर रहें । उनका जीवन तो एक खुली किताब कि तरह रहा वे जिस पद पर भी रहे उस पद कि गरिमा को बनाये रखा । वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे व प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे । उनकी कथनी और करनी में कोई अन्तर नहीं था । वे अपने सिध्दांतों के धनी थे ।

उनकी असाधारण प्रतिभा , उनके स्वभाव का अनोखा माधुर्य , उनके चरित्र की विशालता और राष्ट्र प्रेम की भावना देखने , समझने व जीवन में आत्मसात करने की हमें प्रेरणा देता है । मौत शाश्वत सत्य है और अटल है । मौत के आगे तो भगवान का भी कोई वश नहीं चलता जिसने जन्म लिया है उसे एक न एक दिन यह संसार छोडना ही पडेगा । 28 फरवरी 1963 को इस महान विभूति का स्वर्गवास हो गया । जीवन कर्मठता , सादगी और देश सेवा के भाव उनमें कूट कूट कर भरे हुए थे । सादगी और सरलता उनमें अन्त तक बनी रही ।

उनके निधन से देश की राजनीति में एक खालीपन आ गया हैं । चूंकि वे अद् भूत प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने अपने कार्य से जो छवि बनाई वैसी छवि बनाना आज के राजनीतिज्ञों के लिए असंभव सी है । वे निरन्तर राष्ट्र की सेवा को तत्पर रहें । स्पष्टवादिता, सादगी व अपनत्व उन जैसा अब कहा देखने को मिलता है । उनके कार्य कई मायनों में याद रखें जायेंगे ।

वे अपने विचारों के पक्के धनी थे । उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में मर्यादा कायम करने की मिसाल रखी । वे आज भले ही इस नश्वर संसार में हमारे सामने नहीं है । मगर उनके कार्य हमे आज भी उनकी याद को ताजा कराते है । उनकी यादें और उनके योगदान को हम कभी भी भूला नहीं पायेंगे । वे कहा करते थे कि परिस्थितियां कितनी भी विपरित हो लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए ।

ईश्वर एक दरवाजा बंद कर देता हैं तो दूसरे कई दरवाज़े खोल देता हैं । वे एक कुशल राजनेता, कुशल वक्ता थे । यही वजह है कि आज भी लोग ऊनके ज्ञान की तारीफ करता हैं । अपने चिन्तन व्यवहार में ऊनके विभिन्न और लम्बे सामाजिक जीवन का अनुभव समाहित था । उन्होंने समर्पण भाव से देश की सेवा की । वे सूझबूझ के धनी थे ।

दूसरों को सम्मान देने और आत्मीयता से मिलने का उनका जो तरीका था वह बेहद ही अद् भूत था । उनकी छवि पाक साफ रही । उनका मजबूत आत्मिक बल था । उनके जाने से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है । राजनीति व कुशल प्रशासन के क्षेत्र में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा । उस दिवंगत आत्मा को शत् शत् नमन् ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

 

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