चिंतन और नजरिया : पाकिस्तान का संकट
1971 के शिमला समझौते की जगह भारत पाकिस्तान के बीच नये समझौते की जरूरत

राजीव कुमार झा
संसद में या बिहार विधान सभा में कोई मुस्लिम नेता अगर यह कहता है कि पुष्यमित्र शुंग जो हिन्दू शासक था
या बंगाल का हिन्दू राजा शशांक ने बौद्ध मठों को तोड़ा और हमारे बादशाहों ने भी इसी प्रकार मंदिरों का विध्वंस किया तो इसमें नाराजगी की कोई बात नहीं होनी चाहिए। हमारे तमाम इतिहास की पुस्तकों में इसी प्रकार पाकिस्तान निर्माण के बारे में पढ़ाया जाता है।। दिल्ली में एनसीईआरटी की किताबो में विपिनचन्द्र और अन्य तथाकथित इतिहासकारों ने पाकिस्तान निर्माण को लेकर खूब लिखा और इसमें उल्लिखित बातें बेहद भ्रमात्मक हैं।
वस्तुत: पाकिस्तान को अंग्रेजों ने बनाया और हिंदू मुस्लिम फूट की उनकी नीति देश के स्वतंत्रता आंदोलन को कमजोर करने की भावना से प्रेरित रही। गुलामी से मुसलमान भी नफरत करते हैं भले ही दुनिया को गुलामी की जंजीरों में मध्य काल के शासन और वर्चस्व के दौर में उन्होंने जकड़े रखा लेकिन ब्रिटिश शासन से भारत के एक हिस्से को अलग करके स्वतंत्र देश के रूप में पाकिस्तान के निर्माण के लिए कई स्तरों पर उन्होंने लड़ाईयां लड़ीं। आज पाकिस्तान मुख्य: एक देश के रूप में अमरीका का सैनिक अड्डा बन गया है।
यहां अमरीका अपने हथियार रखता है और इसे रखने के एवज में पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा की स्थिति में उन हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत भी देता है। भारतीय सेना लूटपाट करने वाली सेना नहीं है और सन् 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान की हार के बावजूद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के हथियार भंडार को यथावत् छोड़ दिया और सेना ने सिर्फ उन सैनिकों को पकड़ा जो युद्ध में शामिल थे। इन सैनिकों पर भी भारत की सैन्य अदालत में अब कोई मुकदमा दर्ज नहीं है क्योंकि 1971 के शिमला समझौते में पाकिस्तानी सेना को आम माफी दे दी गयी थी।
क्या पाकिस्तान इन बातों को समझता है और उसे भारत की अनुमति के बगैर अमरीका को अपनी धरती पर हथियार रखने की इजाजत बिल्कुल नहीं देनी चाहिए थी लेकिन यह हमारी चूक ही है और शिमला समझौते में इंदिरा गांधी को इस आशय के प्रावधानों को भी शामिल करवाना चाहिए था इस यह जरूरी है कि शिमला समझौते की जगह नये समझौते के लिए भारत पाकिस्तान भारत पर दवाब कायम करे तभी भारतीय उपमहाद्वीप में शांति कायम होगी।
धर्म के नाम पर भारत अब अपनी भूमि पर पृथकतावादी आंदोलनों से कड़ाई से पेश आता है और सिक्ख चरमपंथियों को भी हमारी सरकार ने कुचलकर रख दिया और पंजाब में अमन हम चैन बहाल हुआ। मुलायम सिंह ने भी रक्षा मंत्री के तौर पर सदैव पाकिस्तान को चुनौती दी थी और कश्मीर को लेकर कोई दलगत मतभेद हमारे देश में नहीं है।