राष्ट्रीय जनजीवन की धारा में मुसलमानों की वापसी और उनकी खुशहाली!

राजीव कुमार झा
हमारे देश में मुसलमान अपने बाल बच्चों के लिए हिन्दुओं की तरह से दो पैसा अगर कमाते हैं तो यह सबसे खुशी की बात कही जा सकती है। यह काफी अच्छा है कि भारत में जोश ए मुहम्मद और अलकायदा के अलावा संसार के अन्य आतंकवादी मुस्लिम संगठनों से संबंध रखने वाले लोगों को यहां पुलिस ने गिरफ्तार किया है और जेल भेजा है। यहां मुसलमान सब भी अपनी पार्टी बना रहे हैं और यह उनका स्वागत योग्य कार्य है क्योंकि देश की राजनीति में उनकी भागीदारी कायम होनी चाहिए। मुसलमान अलग-थलग पड़ते जा रहे थे। उनके मन में देश विरोध की भावना अब बिल्कुल नहीं है। गांधी जी को सारे मुसलमान अपना रहनुमा मानते हैं।
यहां बिहार में मुस्लिम बहुल इलाकों में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई है और विधान सभा चुनाव में जीत दर्ज करके उन्होंने बिहार विधानसभा में हिन्दू धर्म के इतिहास और उसमें विभिन्न पंथों संप्रदायों के बीच के विवादों के उल्लेख के साथ बौद्ध और हिंदू राजाओं के द्वारा एक दूसरे के धर्म स्थलों को तोड़ने की घटनाओं का जिक्र किया है। संसद में भी कुछ मुस्लिम नेताओं ने ऐसे भाषण दिए हैं। खैर ऐसे नेता किसी प्रकार की कोई अज्ञानता की बातें नहीं कर रहे थे। उन्होंने सरकार से सामंजस्य स्थापित करने का अनुरोध किया है और मुसलमानों की अपनी जीवन संस्कृति है और इसका गहरा संबंध इतिहास संस्कृति धर्म और समाज के साथ जुड़ा है। यहां रहने वाले मुसलमानों का देश भारत ही है। उनके भी खेत खलिहान दुकान हैं।
वे देशद्रोही नहीं हैं लेकिन अपनी जातीय संस्कृति और जनजीवन की सामान्य धारा से अलग व्यक्तिगत स्तर पर उनकी सोच प्रवृत्ति और देश के प्रति लगावों में अंतर हो सकता है। मुंबई के संगठित अपराध के अलावा मुसलमान यहां के अन्य हिस्सों में भी अपराध में शामिल रहे हैं और कश्मीर के आतंकवाद में इनकी संलिप्तता जग जाहिर है। क्या पाकिस्तान ऐसे लोगों का देश है और वहां की सरकार की हैसियत कश्मीर के इन बेवकूफ मुसलमानों को पता है। पहले पूरा पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का हिस्सा था। जिन्ना ने हिंसा धमकी खून-खराबा और हिन्दुओं सिक्खों से घृणा की बुनियाद पर पाकिस्तान को बनाया।
भारत की धरती को दो भागों में बांट दिया और देश विभाजन का तमाशा सबको मालूम है। इस तमाशे से अब भारत के किसी भी निवासी का ही अगर कोई रिश्ता है तो वह देश छोड़कर चला जाए और देश में रहने वाले इन तथाकथित मुसलमानों और पाकिस्तानपरस्तों को पता है कि संसार के किसी भी देश में उनको अब कोई जगह नहीं मिलेगी। भारत के जेलों में ही ऐसे लोगों की जिंदगी कटेगी। मुसलमान अपराध और आतंक से खुद को दूर करें और इस देश की धरती को अपने हाथों से स्पर्श करके वे कसम खाएं कि हिन्दुओं से वे कभी विवाद नहीं करेंगे और उनके धर्मस्थलों को तोड़कर जो मस्जिदें यहां बनाई गयी हैं, उनमें वे कभी नमाज पढ़ने नहीं जाएंगे। मुसलमान इस बात को जानते हैं कि देश के हिन्दू धर्मस्थलों में मुसलमानों की मस्जिदों से हिंदु नाराज हैं।