बाल साहित्य को समर्पित “उदय किरौला”

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बाल साहित्य को समर्पित “उदय किरौला”, यही कारण है कि आज हज़ारों बच्चे व अभिभावक इस कार्यक्रम से जुडे है व अनेक बच्चें कार्यक्रम का संचालन कर चुके है। ऐसे आयोजन शायद ही देश कि किसी शिक्षण संस्थान में होता होगा। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

साहित्य समाज का दर्पण है। श्रेष्ठ साहित्य बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक सिध्द होता है। आज के दौर में बाल साहित्य पर संकट सा आ गया हैं। यही वजह है कि आज पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन मात्र आंनलाईन ही पढने को मिल रहा हैं और साहित्यकारों को कोई भी पारिश्रमिक नही मिल रहा हैं। ऐसे में बाल साहित्य का अस्तित्व संकट में पड गया।

साहित्यकार उदय किरौला आज इस दौर में बाल साहित्य की जो डोर थामें है उसे वे अब छोडने वाले नही है। कोरोना काल मे जब बच्चों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था तब साहित्यकार उदय किरौला ने बच्चों को आंनलाईन कार्यशालाओं से जोडा और उनमें देशभक्ति की भावना जागृत करने व रचनात्मक कार्यों से जोडने का जो प्रयास किया वह सार्थक सिध्द हुआ।

वें निरंतर व हर रोज निर्बाध रूप से आंनलाईन कार्यशालाओं का आयोजन कर कश्मीर से कन्याकुमारी तक के बच्चो को ही नही अपितु विदेशों से भी बच्चों के अभिभावकों को कवि सम्मेलन के माध्यम से जोडा है जो अपने आप में एक अनोखी व अनूठी पहल हैं

किरोला हर दिन नवीनतम विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे है और कभी कभी तो दो पारी में कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं और वह भी निशुल्क। वे बाल साहित्य को पूरी तरह समर्पित है। वें 24 घंटों में से मात्र पांच – छः घंटे ही विश्राम करते है। शेष समय कार्यशालाओं में, विषयों का चयन करने में, कार्यशालाओं के लिए साहित्यकारो, कवियों को आमंत्रित करने में ही व्यतीत कर रहे हैं।

यही कारण है कि आज हज़ारों बच्चे व अभिभावक इस कार्यक्रम से जुडे है व अनेक बच्चें कार्यक्रम का संचालन कर चुके है। ऐसे आयोजन शायद ही देश कि किसी शिक्षण संस्थान में होता होगा। अगर होता होगा तो सशुल्क होता होगा, लेकिन उदय किरौला निशुल्क कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं और ऐसा देश भर में कही भी अन्यत्र सुलभ नहीं हैं।


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बाल साहित्य को समर्पित "उदय किरौला", यही कारण है कि आज हज़ारों बच्चे व अभिभावक इस कार्यक्रम से जुडे है व अनेक बच्चें कार्यक्रम का संचालन कर चुके है। ऐसे आयोजन शायद ही देश कि किसी शिक्षण संस्थान में होता होगा। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

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