मन और मौन

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मन और मौन, चूंकि जिसका मन साफ होता है उसके साथ हर वक्त ईश्वर साथ होता हैं। यही वजह हैं कि हमारे कार्य अनेक बार मौन रहने से भी आसानी से बन जाते हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

किसी महापुरूष ने बहुत ही खूब कहा हैं कि किसी के मन और मौन को बहुत ही कम लोग समझ पाते हैं। आज का इंसान हर किसी के मौन को उसकी कमजोरी मान बैठता है, फिर भला वह मन को क्या समझ पायेगा। किसी के मन और मौन को समझने के लिए हमारा मन भी साफ होना चाहिए।

उसमें राग- ध्देष, मनमुटाव, बदले की भावना, ईर्ष्या, झूठ, कपट, छलावा रूपी कूडा करकट न भरा हो, अपितु दया, प्रेम, करूणा, ईश्वरीय भक्ति का भाव भरा हो तभी हम किसी के मन और मौन को समझ पा सकेगें।

हो सकता हैं कि मेरे में हजारों अवगुण हो अथवा मुझे बुरा साबित करने के लिए लोगों ने अनेक हथकंडे अपनाये हो लेकिन मैंने अपने जीवन काल में अपने या अपने परिवारजनों के फायदें के लिए कभी भी किसी का नुकसान नहीं किया। यह बात भी मुझे जानने वाला हर व्यक्ति जानता हैं।

चूंकि जिसका मन साफ होता है उसके साथ हर वक्त ईश्वर साथ होता हैं। यही वजह हैं कि हमारे कार्य अनेक बार मौन रहने से भी आसानी से बन जाते हैं। मन को जानने व मौन को समझने के लिए ईश्वरीय भक्ति का होना नितांत आवश्यक हैं।


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मन और मौन, चूंकि जिसका मन साफ होता है उसके साथ हर वक्त ईश्वर साथ होता हैं। यही वजह हैं कि हमारे कार्य अनेक बार मौन रहने से भी आसानी से बन जाते हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

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