संत की कोई जाति नहीं, विद्वान की कोई उम्र नहीं

संत की कोई जाति नहीं, विद्वान की कोई उम्र नहीं, उन्होंने कहा कि पापी के घर में पापी ही पैदा होता हैं और संत के घर में संत ही पैदा होता हैं और वीरों के घर में वीर पैदा होता हैं। माथुर ने बताया कि स्त्री के कर्तव्य पर चर्चा करते…
जोधपुर। जब जब धर्म की हानि होती हैं तब तब पापियों का नाश करने के लिए भगवान प्रकट होते हैं। यह उद् गार शौभावतों की ढाणी के यू आई टी पार्क में चल रही भागवत कथा के दौरान गोभक्त कथावाचक पंडित अशोक महाराज दाधिच ने व्यक्त किये। कथाप्रेमी सुनील कुमार माथुर ने बताया कि कथा के दौरान दाधिच ने कहा कि पाप का बाप लोभ हैं। अत व्यक्ति लोभ न करे और दान पुण्य करें।
उन्होंने कहा कि दान पुण्य करने वालों को परमात्मा खूब धन देता हैं और वह कभी भी दुखी नहीं रहता हैं जबकि लोभी को क्या दें ढेंगा। उन्होंने कहा कि तीन चीजों की कोई कीमत नहीं हैं और वे हैं मां, महात्मा और परमात्मा। पं दाधिच ने कहा कि बच्चों को आरम्भ से ही आदर्श संस्कार दीजिये चूंकि बालमन को आप जैसा चाहे वैसा ढाल सकते हैं जबकि उसके बडा होने पर नहीं।
उन्होंने कहा कि पापी के घर में पापी ही पैदा होता हैं और संत के घर में संत ही पैदा होता हैं और वीरों के घर में वीर पैदा होता हैं। माथुर ने बताया कि स्त्री के कर्तव्य पर चर्चा करते हुए पं दाधिच ने कहा कि स्त्री को चाहिए कि वह जब भी घर से बाहर जायें तो अपने पति को बताकर ही जायें। बिना बताये वह कहीं भी न जायें।
उन्होंने कहा कि संतों की कोई भी जाति नहीं होती है और विध्दान की कोई उम्र नहीं होती हैं। संत कहते हैं कि ज्ञान की कोई सीमा नही़ होती हैं। उन्होंने कहा कि समय बदलते देर नहीं लगती हैं न जाने कब क्या हो जायें।
बच्चों को आरंभ से ही आदर्श संस्कार दीजिये
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