बच्चों को आरंभ से ही आदर्श संस्कार दीजिये

बच्चों को आरंभ से ही आदर्श संस्कार दीजिये, उन्होंने कहा कि धर्म कहता है कि बच्चों को भगवान को जागृत करने का साधन बनाये। बच्चों में प्रारंभ से ही भगवान की पूजा पाठ करने की आदत डालिये उन्होंने कहा कि कपटी सौ संतों के बीच में रहकर भी नहीं सुधरता है़।
जोधपुर। भावना में भाव न हो तो जीवन बेकार हैं और भावना में भाव हो तो आपका बेडा पार है। शौभावतों की ढाणी मे़ यू आई टी पार्क में चल रही भागवत कथा के दौरान गौसेवक कथावाचक पंडित अशोक महाराज दाधिच ने उक्त उद् गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि बच्चों में आरंभ से ही आदर्श संस्कार डालने चाहिए ताकि वे नियमित रुप से पूजा पाठ करते रहे।
कथाप्रेमी सुनील कुमार माथुर ने बताया कि कथा के दौरान पंडित दाधिच ने कहा कि परोपकार करने वालों का ईश्वर सदा कल्याण ही करता है। उन्होंने कहा कि अकडना मुर्दो की पहचान है, इसलिए इंसान झुकना सीख जाये। जिसका भगवान जाग जाता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड सकता हैं।
उन्होंने कहा कि धर्म कहता है कि बच्चों को भगवान को जागृत करने का साधन बनाये। बच्चों में प्रारंभ से ही भगवान की पूजा पाठ करने की आदत डालिये उन्होंने कहा कि कपटी सौ संतों के बीच में रहकर भी नहीं सुधरता है़। उन्होने कहा कि तन बढे तो व्यायाम करे, टेंशन बढे तो म़दिर जाये और धन बढे तो दान करें ताकि आपका कल्याण हो।
पं दाधिच ने कहा कि व्यक्ति को चिंता नहीं अपितु प्रभु का चिंतन करना चाहिए चूंकि चिता व्यक्ति के मरने के बाद जलाने का कार्य करती हैं जबकि चिंता व्यक्ति को जीते जी मारती हैं। उन्होंने कहा कि जैसी संगति होती है वैसा ही फल मिलता है। उन्होंने कहा कि भगवान के केवल सूत की डोरी हार के रूप में नहीं चढती है, इसलिए सूत ने पुष्प से दोस्ती की ओर अब पुष्पों की माला के रूप में भगवान के गले में चढता हैं।
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