कविता : मान-सम्मान

सुनील कुमार माथुर
हिंसा , दंगा-फसाद फैलाने से
मान – सम्मान नहीं मिलता हैं
मान – सम्मान पाने के लिए मन में
दया , करूणा , ममता व वात्सल्य का भाव होना चाहिए
लूट – खसोट व किसी का अपमान करने से
मान – सम्मान नहीं मिलता हैं
मान – सम्मान पाने के लिए
परोपकार के कार्य करने पडते हैं
नफरत , घृणा व ईर्ष्या फैलाने से
मान – सम्मान नहीं मिलता हैं
मान – सम्मान पाने के लिए
ईमानदारी व निष्ठा का भाव चाहिए
किसी की चुगली या बुराई करने से ,
किसी का दिल दुखाने से , व्यभिचार करने से
मान – सम्मान नहीं मिलता हैं
मान – सम्मान पाने के लिए
बडे – बुजुर्गों का सम्मान कीजिए
सभी के साथ समान व्यवहार कीजिए
ईश्वर की आराधना कीजिए
पीडित मानवता की सेवा कीजिए और
जीवन में सदा सत्य बोलिए
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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Nice poem
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