साहित्य लहर

कविता : नाराजगी

तुम्हारी नाराजगी का लहजा सबको प्यार से कहता जिंदगी में इसका नशा कल सबके मन से धूप की तरह बारिश के बाद उतर गया… #राजीव कुमार झा

बातचीत का लहजा
क्यों प्यार में भी आदमी
सबके पास आकर
अपना चेहरा
भूलता चला गया
उसकी मुस्कुराहटों में
कुछ भी नहीं बाकी बचा

तुम्हारी नाराजगी का
लहजा
सबको प्यार से कहता
जिंदगी में इसका नशा
कल सबके मन से
धूप की तरह
बारिश के बाद उतर गया


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