साहित्य लहर
कविता : सिनेमा
कविता : सिनेमा… हवा दुपहरी में तुम्हें बाहर बुलाती गीत गाती शाम की सुहानी गली यहां प्यार के किस्से हमारे देर रात तक गूंजते भूले बिसरे सिनेमा के पर्दों पर… #राजीव कुमार झा
सपनों की रानी
तुम्हारे साथ
जिंदगी की राहों में
चलते
समंदर के किनारे
शाम में
सूरज डूबने से
पहले
दफ्तर बंद होने के
बाद
लोग पहुंचते
चट्टानों की ओट में
तुम खामोश हो जाती
प्यार की गलियों में
हवा दुपहरी में
तुम्हें बाहर बुलाती
गीत गाती शाम की
सुहानी गली
यहां प्यार के किस्से
हमारे
देर रात तक गूंजते
भूले बिसरे
सिनेमा के पर्दों पर
सुनाई देने वाले
जिंदगी के गीत गाने
डा. हर्षवन्ती बिष्ट : पर्यावरण संरक्षण का एक प्रेरणादायक अध्याय