बाल कहानी : चौथ वसूली

बाल कहानी : चौथ वसूली… मैंने हर माह आप लोगों से जो चौथ वसूली की थी, वह सब राशि सपना की शिक्षा व राशन पानी पर खर्च कर उसे आत्मविश्वास के साथ आगे बढने का एक नन्हा सा प्रयास किया था। आपके तनिक सहयोग से इसकी जिंदगी बदल गई। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
धीरज, गोपाल, संजय, चेतन, नरेश गहरे मित्र थे। एक ही मौहल्ले में रहते थे तथा जो भी काम करते थे वह सोच समझ कर ही किया करते थे ताकि उनके कार्यो से किसी को परेशानी न हो। धीरज थोडा शरारती जरूर था, लेकिन कभी भी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाता था।
मौहल्ले में ही एक परिवार ऐसा था जिसमें पति – पत्नी साग सब्जी बेचकर अपना जीवन यापन करते थे।
उनके सपना नाम की एक लडकी थी जिसे वे डाक्टर बनाना चाहते थे। एक दिन सपना के माता-पिता एक सडक दुर्घटना में मारे गये। अब सपना का भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा। मगर धीरज ने मन ही मन एक योजना बनाई और सपना के सपने को साकार करने का संकल्प लिया।
शरारती धीरज ने अब अपने ही मौहल्ले के बड़े बड़े व्यापारियों से चौथ वसूली करने लगा। दुकानदार भी यह सोच कर चौथ दे देते थे कि मुसीबत में धीरज ही सबके काम आता हैं। चौथ वसूली की राशि से धीरज ने सपना की फीस भरी। उसके घर में राशन पानी की हर माह की व्यवस्था की। लेकिन किसी को इसकी भनक तक न पडने दी कि यह सब कौन कर रहा है।
यह वर्ष सपना का मेडिकल की पढ़ाई का अंतिम वर्ष था। उसने कडी मेहनत की और परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुई और अपने ही गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर के पद पर उसकी नियुक्ति हुई। जब क्षेत्रवासियों ने सपना का स्वागत किया, तब धीरज ने सभी व्यापारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप लोगों के सहयोग से ही सपना का सपना साकार हुआ।
मैंने हर माह आप लोगों से जो चौथ वसूली की थी, वह सब राशि सपना की शिक्षा व राशन पानी पर खर्च कर उसे आत्मविश्वास के साथ आगे बढने का एक नन्हा सा प्रयास किया था। आपके तनिक सहयोग से इसकी जिंदगी बदल गई। यह सुनकर सभी ने धीरज की सूझबूझ की सराहना की।
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