साहित्य लहर

कविता : नेकनीयती

कविता : नेकनीयती, शाम की इस वारदात से पहले अब यहां सूरज गुम दिखाई देता आकाश में सुनहली किरणों की तरह कभी जिंदगी सजती प्रेम के पहले पहर तुम यार को कहती जब चांद आएगा तुम्हें सबकुछ बताएगा #राजीव कुमार झा

तुमसे बातें गर हम
प्यार से बनाते
इरादे नेकनीयती के
जताते
इश्क की गलियों में
चांद की तरह
हंसकर गुमसुम पहर के
आशियाने से
निकल आते

यह घर ख्यालों की
धूप में बारिश से पहले
चमकता रहता
शाम की इस वारदात से
पहले
अब यहां सूरज गुम
दिखाई देता

आकाश में सुनहली
किरणों की तरह
कभी जिंदगी सजती
प्रेम के पहले पहर
तुम यार को कहती
जब चांद आएगा
तुम्हें सबकुछ बताएगा

कविता : चमकौर की लड़ाई


कविता : नेकनीयती, शाम की इस वारदात से पहले अब यहां सूरज गुम दिखाई देता आकाश में सुनहली किरणों की तरह कभी जिंदगी सजती प्रेम के पहले पहर तुम यार को कहती जब चांद आएगा तुम्हें सबकुछ बताएगा #राजीव कुमार झा

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