साहित्य लहर

कविता : चमकौर की लड़ाई

कविता : चमकौर की लड़ाई, वीर बालक अजीत सिंह ने रण भूमि में भरा हूंकार, दस हजार दुश्मनों पर भारी याद करो चमकौर लड़ाई। जब भाई ने वीर गति पाई कूद पड़े भाई जुझार सिंह, लड़ते रहे अंतिम क्षण तक याद करो चमकौर लड़ाई। #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार

गुरु साहिब के चालीस योद्धा
दस लाख पर भारी पर गये,
मुगलों को जब धूल चटाई
याद करो चमकौर लड़ाई।

वीर बालक अजीत सिंह ने
रण भूमि में भरा हूंकार,
दस हजार दुश्मनों पर भारी
याद करो चमकौर लड़ाई।

जब भाई ने वीर गति पाई
कूद पड़े भाई जुझार सिंह,
लड़ते रहे अंतिम क्षण तक
याद करो चमकौर लड़ाई।

गुरु साहिब देख रहे थे
हृदय के टुकड़े का बलिदान,
ऐसा युद्ध कभी हुआ न होगा
याद करो चमकौर लड़ाई।

कविता : सुखी परिवार


कविता : चमकौर की लड़ाई, वीर बालक अजीत सिंह ने रण भूमि में भरा हूंकार, दस हजार दुश्मनों पर भारी याद करो चमकौर लड़ाई। जब भाई ने वीर गति पाई कूद पड़े भाई जुझार सिंह, लड़ते रहे अंतिम क्षण तक याद करो चमकौर लड़ाई। #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार

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