अपराधउत्तर प्रदेश

फर्जी पासपोर्ट मामला: सवा दो साल बाद अधिकारी पर शिकंजा

दो साल से अधिक समय बीच जाने के बाद पुलिस की जांच केवल गिरोह के सदस्यों के नाम पता करने तक ही सीमित रही है। जबकि, तत्कालीन ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने विवेचक और एसीपी को तलब कर मामले की जानकारी लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

कानपुर। कानपुर में फर्जी मार्कशीट और आधार कार्ड से पासपोर्ट बनाने के मामले में तत्कालीन जिला पासपोर्ट अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा पर सवा दो साल बाद शिकंजा कसा है। विवेचना के दौरान सिन्हा का नाम एफआईआर में शामिल करने के साथ ही धाराएं भी बढ़ाई गई हैं। सिन्हा वर्तमान में लखनऊ में तैनात है। दरअसल, कर्नलगंज पुलिस ने खुलासा किया था कि ट्रैवेल्स एजेंट वसीम अली फर्जी मार्कशीट और आधार कार्ड आदि तैयार कर पासपोर्ट बनवाकर लोगों को देता था।

इसके एवज में मोटी रकम वसूलता था। जनवरी 2022 में कर्नलगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने वसीम को जेल भेजा था। जांच में 12 अन्य लोगों के नाम सामने आए थे। तत्कालीन विवेचक एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया था कि शैलेंद्र वसीम के संपर्क में था। मामले के वर्तमान विवेचक एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडेय ने अब शैलेंद्र कुमार सिन्हा का नाम भी एफआईआर में शामिल किया है।

साथ ही कूटरचित दस्तावेज तैयार करने (धारा-468), सामूहिक उपद्रव करने (धारा-147), झूठी जानकारी देने (धारा-177/2) और साजिश (धारा-120 बी) की धारा बढ़ाई है। शैलेंद्र कुमार मूलरूप से बिहार के नवादा जिले के थाना हसुवा के खुचौर गांव का रहने वाला है। वर्तमान में लखनऊ के राजाजीपुरम स्थित 209/22 ग्रेविटी में रहता है।

गैंग में टूर एंड ट्रैवल्स एजेंसी संचालक परवेज, फतेहपुर का उवैद, गाजीपुर का सलीम, हाकिम, चमनगंज का इकबाल, बेकनगंज का मुस्तकीम, बाबूपुरवा का शोएब, बांसमंडी का राशिद, माल रोड का शाकिब और कल्याणपुर का मोहित शामिल था। पुलिस इन सभी की भूमिका की जांच कर रही थी, लेकिन बाद में ठंडे बस्ते में चली गई। फर्जीवाड़े का खुलासा जनवरी में हुआ था।

दो साल से अधिक समय बीच जाने के बाद पुलिस की जांच केवल गिरोह के सदस्यों के नाम पता करने तक ही सीमित रही है। जबकि, तत्कालीन ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने विवेचक और एसीपी को तलब कर मामले की जानकारी लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मामला पासपोर्ट से जुड़ा था, इसलिए जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी। क्राइम ब्रांच ने जांच के दौरान 30 पासपोर्ट निरस्त करवाते हुए पासपोर्ट धारकों को नोटिस भेजा था।

नोटिस के जरिये तय समय में बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। जबकि पुलिस को जांच के दौरान 200 से अधिक पासपोर्ट बनवाए जाने की जानकारी मिली थी। पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि पकड़े गए वसीम ने 200 से ज्यादा पासपोर्ट फर्जी दस्तावेजों पर बनाए थे। उसने अपने बयान में भी बताया था कि गल्फ कंट्रीज में महिलाओं को भेजने के लिए ये शैक्षणिक दस्तावेज बहुत काम आते हैं। उसने कुछ स्कूलों के नाम भी बताए थे। साथ ही इन्हीं स्कूलों से कागजात बनवाकर ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट बनवाता था।



एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इसमें कई हाई प्रोफाइल लोगों के नाम सामने आए थे, इसकी वजह से जांच बंद करा दी गई थी। वर्तमान में मामले की जांच एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडेय कर रहे हैं। शैलेंद्र का दस्तखत नमूना मिलान के लिए भेजा गया है। एक साल में मिलान की रिपोर्ट ही नहीं आ सकी है। रिपोर्ट आने के बाद ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी। कर्नलगंज निवासी मोहम्मद बादशाह अली ने थाने में शिकायत की थी कि उन्होंने पासपोर्ट बनवाने के लिए चमनगंज में सेंट्रल बैंक के सामने स्थित अनाया ट्रैवेल्स के मालिक वसीम अली से संपर्क किया था।



वसीम ने हाईस्कूल का प्रमाणपत्र बनवाने के लिए पांच हजार रुपये लिए थे। इसी प्रमाणपत्र के आधार पर पासपोर्ट बनवाया था।  जांच में यह प्रमाणपत्र फर्जी निकला था। तब पासपोर्ट विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी। उसने वसीम से संपर्क किया तो पहचानने से इन्कार कर दिया था। गालीगलौज कर भगा दिया था। तब पुलिस ने बादशाह अली की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर वसीम अली को जेल भेजा था। मामले की जांच में खुलासा हुआ था कि वसीम के गैंग में कई लोग शामिल थे। ये लोग शैलेंद्र कुमार सिन्हा से सांठगांठ कर पासपोर्ट बनवाते थे।




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