कविता : शरद का मौसम

इस समाचार को सुनें...

राजीव कुमार झा

तुम जिंदगी की
शान बनकर
अरी सुंदरी मुस्कुराना
प्रेम के पहले पहर में
अब कुछ भी नहीं बताना
रात जब घिर आएगी
सितारों के पास
तुम कोई गीत गाएगी

इस वक्त जंगल
सबको कितना सुहाता
रात भर चांद
यहां चक्कर लगाता
नदी के किनारे
सन्नाटा पसर जाता
वह शांत मन से
समुद्र की ओर बहती

इस वक्त चिड़िया
घोंसले में सोती
जब सुबह होती
वह झुंड में हंसती
शरद का मौसम
तुम्हें बुलाता
धूप से भरा यह रास्ता

आगे कहां जाता
प्रेम के पथ पर
बीती बातों को भुलाता
कोई समय गुजर जाता
शाम में वह याद आता
नदी की धारा में तब रोशनी
झिलमिलाती
पेड़ों के झुरमुट में
तुम चेहरा दिखाती

कोई पहर अचानक
बारिश में भीगता
हवा मानो पास आकर
कुछ कहना चाहती हो
घटाटोप अंधकार में
यह आकाश का नजारा
सागर की हिलोरों में
हंसता चांद सबका सहारा

जिसने तुम्हारा प्रेम पाया
सुबह में उसी ने गीत गाया
सबको सुनाया
विरह के उस गीत को
सुनकर
आज रात रोती
तुम्हारी निष्ठुर हंसी में झरते
सुंदर प्यार के मोती


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

Address »
इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights